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31 August 2020

सम्मानपूर्वक चुकाऊंगा जुर्माना: प्रशांत भूषण

अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद वकील प्रशांत भूषण अदालत द्वारा लगाए गए जुर्माने का भुगतान करने के लिए सहमत हो गए हैं। प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्होंने हमेशा माना था कि सुप्रीम कोर्ट "कमजोर और उत्पीड़ितों के लिए आशा का अंतिम गढ़" है।

प्रशांत भूषण ने कहा, ''मैंने पहले ही बोला था जो भी सुप्रीम कोर्ट मेरे खिलाफ फैसला देगा मैं खुशी-खुशी मान लूंगा।

उन्होंने कहा कि मैं सम्मानपूर्वक जुर्माना चुकाऊंगा। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लगाए गए जुर्माने की रिव्यू पिटिशन फाइल करने का मुझे अधिकार है। जो मेरा अधिकार है, मैं करूंगा। और अगर कोई और भी फैसला होता तो मैं जरूर मानता। सुप्रीम कोर्ट के लिए 37 साल से मेरा सम्मान हमेशा रहा है। मेरी ट्वीट कोई सुप्रीम कोर्ट या न्यायपालिका को चोट पहुंचाने के लिए किया गया था। ये मुद्दा मेरे या सुप्रीम कोर्ट और किसी जज के खिलाफ नहीं था।''

प्रशांत भूषण ने कहा, ''हर भारतीय मजबूत न्यायपालिका चाहता है, न्यायपालिका कमजोर हो तो देश और लोकतंत्र कमजोर होता है। मैं देश की जनता का धन्यवाद करना चाहता हूं कि जिन्होंने मेरे समर्थन में अभियान चलाया। जिन लोगों ने मुझे समर्थन दिया, मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं।''

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भूषण ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक फोटो ट्वीट करते हुए लिखा, "मेरे वकील और वरिष्ठ सहयोगी राजीव धवन ने अवमानना के फैसले के तुरंत बाद 1 रे का योगदान दिया, जिसे मैंने आभार व्यक्त किया"।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कोर्ट की अवमानना मामले पर फैसला सुनाते हुए उन पर एक रुपये का जुर्माना लगाया। फैसले के अनुसार 15 सितंबर तक जुर्माना नहीं दिए जाने की स्थिति में 3 महीने की जेल हो सकती है और तीन साल के लिए उन्हें वकालत से निलंबित भी किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट, जिसने वकील से बिना शर्त माफी माफी मांगने के लिए कहा था ने उल्लेख किया, "हमने (प्रशांत भूषण) को खेद व्यक्त करने के लिए कई अवसर और प्रोत्साहन दिए। उन्होंने न केवल दूसरे बयान को व्यापक प्रचार दिया, बल्कि प्रेस को विभिन्न साक्षात्कार भी दिए। "

बता दें कि 63 वर्षीय प्रशांत भूषण ने यह कहते हुए पीछे हटने या माफी मांगने से इनकार कर दिया कि यह उनकी अंतरात्मा और न्यायालय की अवमानना होगी। उनके वकील ने तर्क दिया है कि अदालत को प्रशांत भूषण की अत्यधिक आलोचना झेलनी चाहिए क्योंकि अदालत के कंधे इस बोझ को उठाने के लिए काफी हैं।

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TAGS: Supreme Court, Contempt Case, Prashant Bhushan, प्रशांत भूषण, अवमानना, सुप्रीम कोर्ट
OUTLOOK 31 August, 2020
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