राफेल डील : फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदे जाएंगे
रक्षा सूत्रों के अनुसार विमान की खरीद पर यूपीए सरकार के समय की कीमत की तुलना में करीब 75 करोड़ यूरो बचाये जा सकेंगे। यूपीए सरकार की तरफ से तय कीमत को नरेंद्र मोदी सरकार ने रद्द कर दिया था। इसके अलावा इसमें 50 प्रतिशत आफ सेट का प्रावधान भी रखा गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि छोटी बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए कम से कम तीन अरब यूरो का कारोबार और ऑफसेट के जरिये सैकड़ों रोजगार सृजित किए जा सकेंगे।
राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति 36 महीने में शुरू हो जाएगी और यह अनुबंध किए जाने की तारीख से 66 महीने में पूरी हो जाएगी। पिछले 20 वर्षों में यह लड़ाकू विमानों की खरीद का पहला सौदा होगा। इसमें अत्याधुनिक मिसाइल लगे हुए हैं, जिससे भारतीय वायु सेना को मजबूती मिलेगी।
इस सौदे को पहले ही अंतिम रूप दे दिया जाता लेकिन कीमतों, आफसेट जैसे मुद्दों को लेकर समय लग गया क्योंकि भारत बेहतर अनुबंध बनाना चाहता था। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद फ्रांस 50 प्रतिशत ऑफसेट उपबंध के लिए सहमत हो गया था। इसका अर्थ हुआ कि भारतीय कंपनियों के लिए तीन अरब यूरो का कारोबार सृजित होगा, साथ ही भारत में सैकड़ों की संख्या में रोजगार सृजित किये जा सकेंगे। लड़ाकू विमानों की आपूर्ति साल 2019 से होने की संभावना है जिसमें वार्षिक मुद्रास्फीति की दर की सीमा 3.5 प्रतिशत तय की गई है।
सौदे के तहत इसमें नये दौर की दृश्य से ओझल होने में सक्षम ‘मिटिअर’ मिसाइल और इस्राइली प्रणाली शामिल है। पिछले महीने राफेल सौदे को लेकर फ्रांस से वार्ता करने वाले दल की रिपोर्ट को रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दी और उसके बाद फाइल को समीक्षा तथा मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया था।