भारत -चीन वार्ता: 16 घंटे तक चली दोनों पक्षों में बातचीत, दूसरे विवादित क्षेत्रों के लिए नहीं हो पाया कोई अंतिम फैसला
पैंगोंग में डिसएंगेजमेंट सफलतापूर्वक करने के बाद भारत और चीन के बीच दसवें दौर की वार्ता कल करीब 16 घंटे तक चली। लेकिन दूसरे इलाकों में डिसएंगेजमेंट पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया।
कल की बैठक खत्म होने के बाद दोनों पक्षों के तरफ से एक साझा बयान भी जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि दूसरे विवादित क्षेत्रों को लेकर दोनों पक्षों में बातचीत हुई और शांति के साथ विवाद सुलझाने के लिए दोनों पक्ष सहमत है। उम्मीद है की आगे की बातचीत में इस पर सहमति बन जाएगी।
यह वार्ता उस बीच हुई जब पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों एवं हथियारों को हटाने का काम पूरा कर लिया गया।
फरवरी महीने की 11 तारीख को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को हटा कर पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे में फिंगर आठ इलाके के ईस्ट दिशा में ले जाएगा। भारत अपनी सैन्य टुकड़ियों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा। आगे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्ष करेंगे।
चीन को लेकर जानकारी देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा था कि इस पर सहमति बनी है कि पैंगोंग झील क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के 48 घंटे के भीतर दोनों पक्षों के वरिष्ठ कमांडरों की अगली बैठक अन्य सभी मुद्दों को हल के लिए बुलाई जाएगी। वहीं, आगामी बैठक पर जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि डेपसांग, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा सहित अन्य लंबित मुद्दों पर दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच अगली वार्ता में इन मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
इस बीच, चीन ने पहली बार आधिकारिक तौर पर ये माना है कि पिछले साल जून में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में उसके चार सैनिक मारे गए थे। गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे। जबकि अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक इस झड़प में चीन के 35सैनिक हताहत हुए थे। हालांकि, चीन इन दावों को खारीज करता रहा है लेकिन पिछले दिनों उसने अपने चार सैनिकों के मारे जाने की बात कबूल की थी।