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21 March 2017

'आज भी अपने देश में 6.3 करोड़ लोगों को नहीं मिलता स्वच्छ पानी'

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विश्व भर के पानी के बारे में जारी एक रिपोर्ट वाइल्ड वाटर में कहा गया है कि यह आबादी लगभग ब्रिटेन की आबादी के बराबर की है।

वाटर ऐड की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के नियोजन के अभाव, बढ़ती जरूरतों, जनसंख्या वृद्धि और पानी सुखा देने वाले कृषि कार्यों के कारण पानी पर असर पड़ रहा है।

इसमें बताया गया है कि भारत के ग्रामीण इलाकों में छह करोड़ 30 लाख लोग स्वच्छ पानी से दूर हैं। इसके कारण हैजा, मलेरिया, डेंगू जैसी आम बीमारियां और कुपोषण के और अधिक पनपने की संभावना है।

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रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि खेती पर आधारित गांव में रहने वाले लोगों को बढ़ते तापमान के बीच खाद्यान्न उगाने और पशुओं का चारा जुटाने के लिए संघर्ष करना होगा। साथ ही पानी लाने की जिम्मेदारी का निर्वहन करने वाली महिलाओं को लंबे शुष्क मौसम के दौरान जल के लिए अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी।

भारत को विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती हुयी अर्थव्यवस्था में से एक बताते हुए इसमें कहा गया है कि देश के समक्ष मुख्य चुनौतियों में से एक चुनौती बढ़ती हुई आबादी के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

भारत के आधिकारिक भूजल संसाधन आकलन के मुताबिक, देश के भूजल के छठे हिस्से से अधिक का इस समय अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है।

इसमें कहा गया है, उत्तर-मध्य भारत के बुंदेलखंड इलाके में सूखा एक तरह से जीवन का एक अंग बन गया है। यहां लगातार तीन बार पड़े सूखे के कारण लाखों लोग भूख और गरीबी के दुष्चक्र में फंस गये। भाषा

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OUTLOOK 21 March, 2017
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