भारत, अमेरिका साथ मिलकर काम करने के इच्छुक हैं: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर काम करने और एक-दूसरे के अनुभवों से लाभ उठाने के इच्छुक हैं। उन्होंने शनिवार को मैरीलैंड में एक शीर्ष अमेरिकी नौसैन्य युद्ध सामग्री केंद्र का निरीक्षण करने के बाद यह टिप्पणी की।
सिंह अमेरिका और भारत के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए अमेरिका की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं।
सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘कार्डेरॉक में नौसैन्य सतह युद्ध सामग्री केंद्र का दौरा किया और इस केंद्र में किए जा रहे महत्वपूर्ण प्रयोगों को देखा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत और अमेरिका मिलकर काम करने तथा एक-दूसरे के अनुभवों से लाभ उठाने के इच्छुक हैं।’’
इससे पहले, सिंह ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात की। ऑस्टिन ने सिंह के साथ बैठक के दौरान अमेरिका-भारत संबंधों की गति की प्रशंसा की।
उन्होंने विभिन्न रक्षा मुद्दों पर दोनों देशों के बढ़ते सहयोग का उल्लेख किया, जिसमें उनकी सेनाओं के बीच महत्वपूर्ण आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करने के प्रयास भी शामिल हैं।
ऑस्टिन ने कहा, ‘‘हम एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का दृष्टिकोण साझा करते हैं और हमारा रक्षा सहयोग लगातार मजबूत होता जा रहा है। हम अपने रक्षा औद्योगिक संबंधों का विस्तार कर रहे हैं तथा और क्षमताओं का सह-उत्पादन करने तथा आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने सभी क्षेत्रों में परिचालन सहयोग बढ़ाया है और उन्होंने ‘रिम ऑफ द पेसिफिक’ में भारत की भागीदारी पर प्रकाश डाला, जो हवाई में अमेरिकी नौसेना के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर किया गया अभ्यास था जिसमें 29 साझेदार देशों ने भाग लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय नाविकों ने संकट में नौसैनिकों की मदद की है और वैश्विक व्यापार की रक्षा की है। इसलिए हम नौसैन्य सहयोग मजबूत करने और मानवरहित प्रौद्योगिकी के साथ मिलकर और अधिक काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ सिंह ने कहा कि बढ़ते सहयोग में ‘‘मानव प्रयास के सभी क्षेत्र शामिल हैं।’’
रक्षा मंत्री ने लोगों के बीच मजबूत संबंधों, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और कई मुद्दों पर अमेरिका और भारत के बीच हितों के अभिसरण का उल्लेख किया। ऑस्टिन और सिंह की बैठक से एक दिन पहले दोनों देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था आपूर्ति (एसओएसए) समझौता किया।
इसके तहत दोनों देश राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए पारस्परिक प्राथमिकता आधारित समर्थन प्रदान करने पर सहमत हो गए हैं।
अमेरिका के रक्षा विभाग के प्रधान उप सहायक सचिव वी. रामदास ने कहा, ‘‘ये समझौते अमेरिका-भारत के बीच प्रमुख रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण कड़ी को दर्शाते हैं और यह अमेरिका-भारत रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआई) को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कारक होगा।’’
इस बीच, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 5.28 करोड़ डॉलर की अनुमानित लागत पर भारत को ‘एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोबॉयज़’ और संबंधित उपकरण की संभावित विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी दे दी है।
एक बयान में कहा गया है कि यह प्रस्तावित बिक्री अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करके अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करेगी।
इसमें कहा गया है कि यह एक प्रमुख रक्षा साझेदार की सुरक्षा में सुधार करने में मदद करेगा जो हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्रों में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बना हुआ है।
बयान के अनुसार, प्रस्तावित बिक्री से भारत की वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की क्षमता में सुधार होगा और इसके साथ ही एमएच-60आर हेलीकॉप्टर से पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन की क्षमता भी बढ़ेगी। इसमें कहा गया कि भारत को इस उपकरण को अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।