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12 December 2019

नागरिकता बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, विधेयक को गैरकानूनी घोषित करने की मांग

नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दाखिल हो गई है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के चार सांसदों ने अपनी याचिका में कहा कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण की संविधान अनुमति नहीं देता। यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, इसलिए इसको रद्द किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को गैरकानूनी और शून्य घोषित करने का अनुरोध किया।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने अपनी याचिका में कहा, ' नागरिकता संशोधन बिल संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ट्वीन टेस्ट पर खरा नहीं उतरता है। धर्म के आधार पर वर्गीकरण को संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। यह विधेयक संविधान में वर्णित सेक्युलरिज्म के मूल सिद्धांतों का हनन करता है।' मुस्लिम लीग के चार सांसदों की ओर से याचिका दाखिल हुई है।

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सीएबी असंवैधानिक, धर्म के आधार पर लोगों से भेदभाव करता है: सांसद कुन्हालीकुट्टी

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय महासचिव पीके कुन्हालीकुट्टी ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने जानकारी दी थी कि उनकी पार्टी आज सुप्रीम में संसद द्वारा पारित विधेयक के खिलाफ याचिका दायर करेगी।

कुन्हालीकुट्टी ने बताया, "यह बिल असंवैधानिक है। यही कारण है कि हमारी पार्टी आज एक याचिका दायर कर रही है। बिल पूरी तरह से संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है, जो हर किसी के लिए समानता कहता है और यह बिल लोगों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। कोई भी संसद में संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ कुछ भी निर्णय नहीं ले सकता है।"

कांग्रेस भी कर सकती है याचिका दाखिल

उन्होंने कहा, "हमने सुना है कि कांग्रेस याचिका (कैब के खिलाफ) दायर करेगी। उन्हें इस पर फैसला करना होगा।"

इस बीच, पूर्वोत्तर राज्यों में विपक्षी दल और स्थानीय लोग विभिन्न क्षेत्रों में विधेयक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्यसभा में सीएबी के पारित होने के बाद विरोध के मद्देनजर असम के कुछ जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

संसद के दोनों सदनों से पास

लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी यह बिल आसानी से पास हो गया। उच्च सदन के 125 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, जबकि 105 सांसदों ने विधेयक के खिलाफ मतदान किया। विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हिंदू, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। यह उन शरणार्थियों पर लागू होगा जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर गए थे।

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TAGS: Indian Union Muslim League, IUML, writ petition, Citizenship Amendment Bill 2019, Supreme Court
OUTLOOK 12 December, 2019
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