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12 October 2016

घुसपैठ की कोशिशों में कमी या तेजी से सर्जिकल स्ट्राइक की परीक्षा होगी: मेनन

पीटीआई फाइल फोटो

उड़ी आतंकवादी हमले के बाद भारत के लक्षित हमले (सर्जिकल स्टाइक) के बारे में बात करते हुए मेनन ने कहा, मैं आश्वस्त नहीं हूं कि यह कोई बड़ा नीतिगत बदलाव है। सबसे पहले तो सर्जिकल स्ट्राइक शब्द का इस्तेमाल सही नहीं है। इस मुहावरे को अमेरिका ने परमाणु संदर्भ में किया था। इसका बहुत खास मतलब है कि परमाणु हथियारों के शत्रुओं से निपटना और उन हथियारों का उन्मूलन करना। उन्होंने कहा, यह कुछ ठिकानों पर हमला था और बेशक उन्हें नुकसान पहुंचाना था। लेकिन यह ऐसा नुकसान नहीं है जिसकी वे भरपाई नहीं कर सकें, या उबर नहीं सकें। दूसरी बात यह कि आखिरकार खुद की भारतीय सरजमीं पर लक्ष्य और स्थान के चयन में बहुत ज्यादा संयम दिखाया गया। उन्होंने कहा, मुझे लगता है, अंतर यह है कि इस सरकार ने लोगों के बीच जाने का विकल्प चुना। यह काम करता है या नहीं, असली परीक्षा तो नियंत्रण रेखा पर स्थिति के शांत होने या न होने, घुसपैठ में कमी आने के सवाल की होगी।

मनमोहन सिंह सरकार में साल 2011 से 2014 तक एनएसए रहे मेनन ने इस बात का जिक्र किया कि हर सरकार ने इन चीजों से निपटने के लिए खुद का अपना रास्ता चुना है। उन्होंने लक्षित हमलों को घास काटने की कवायद बताया जिसे समय-समय पर करते रहना होता है। उन्होंने कहा, मैं मानता हूं यह वैसी ही कवायद है जिसे इस्राइली घास काटने जैसा बताते हैं। कुछ ऐसी चीज जिसे आपको करते रहने की जरूरत है और यह स्थायी हल नहीं है। सैन्य बल नहीं, कूटनीति नहीं, बल्कि दोनों का मिलाजुला रूप घास काटेगा। मेनन ने इस बात पर जोर दिया कि एक रणनीतिक दृष्टिकोण से पिछले 30 सालों में पाकिस्तान ने सीमा पार किए जाने वाले आतंकवाद को बदतर बना दिया है। इससे निपटे जाने, सैन्य, कूटनीतिक और अन्य प्रतिक्रियाओं सहित जवाब दिए जाने की जरूरत है। साथ ही पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने के लिए एक नीति का भी पालन किया जा सकता है जैसा कि भारत ने किया है। उन्होंने कहा, असल में यह मौजूदा नीति की निरंतरता है। लेकिन एक कदम और उठाए जाने की जरूरत है। उन्हें आशा है कि यह काम करेगा।

मेनन की पुस्तक च्वाइसेज: इनसाइड दि मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी का पिछले हफ्ते ब्रूकिंग इंस्टीट्यूट में विमोचन हुआ। मेनन ने इसमें लिखा है कि मुंबई आतंकी हमलों के बाद तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी और उन्होंने बतौर विदेश सचिव पाकिस्तान और पाक के कब्जे वाले कश्मीर के अंदर फौरन जवाबी कार्रवाई के लिए काफी जोर दिया था जो नहीं हुआ। पुस्तक में मेनन ने लिखा है कि यदि भारत मुंबई हमले जैसी स्थिति का भविष्य में सामना करता है तो, मैं आश्वस्त हूं कि यह अलग तरीके से जवाब देगा। यह पुस्तक पीओके में हुए सर्जिकल स्ट्राइक से काफी पहले छप चुकी थी। इस पुस्तक में पूरा एक अध्याय मुंबई आतंकी हमलों पर है। यह अगले हफ्ते वैश्विक स्तर पर दुकानों में उपलब्ध हो जाएगा।

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TAGS: शिवशंकर मेनन, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सर्जिकल स्ट्राइक, पाक अधिकृत कश्मीर, भारतीय सेना, सफलता, असली परीक्षा, घुसपैठ, च्वाइसेज: इनसाइड दि मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी, Shivshankar Menon, Former NSA, Surgical Strike, POK, Indian Army, Success, Main Test, In
OUTLOOK 12 October, 2016
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