दुनिया को pH वैल्यू देने वाले वैज्ञानिक सॉरेंसन से जुड़ी दिलचस्प बातें
आप लोगों ने पीएच के बारे में सुना ही होगा। इसका पूरा नाम पोटेंशियल ऑफ हाइड्रोजन हैं। 1909 में सॉरेन पेडर लॉरिज सॉरेंसन ने एक नये स्केल को परिभाषित किया जो पीएच स्केल कहलाता है। पीएच स्केल का इस्तेमाल किसी पदार्थ की अम्लीयता या क्षारीयता जांचने के लिए होता है।
सॉरेंसन का जन्म 9 जनवरी, 1868 को डेनमार्क के हावरवर्ग में हुआ था और निधन 12 फरवरी, 1939 को। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कोपनहैगन में 18 साल की उम्र में पढ़ाई शुरू की। वह मेडिसिन के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते थे। रसायन में उनकी रुचि उस समय के प्रसिद्ध केमिस्ट एस.एम.जॉगेंसन के कारण हुई जिनसे वह ट्युशन लेते थे।
1901 से 1938 तक सॉरेंसन कोपनहैगन की कार्ल्सबर्ग लैबरेट्री के केमिकल डिपार्टमेंट में निदेशक रहे। इस प्रयोगशाला की स्थापना कार्ल्सबर्ग ब्रुअरी के संस्थापक जेसी जैकबसन ने 1875 में किया था जिसका मकसद बायॉकेमिकल नॉलेज खासतौर पर बीयर उत्पादन के मैदान में रिसर्च करना था। इसी लैब में यीस्ट को अलग करने का काम 19वीं सदी में किया गया जिससे अब बड़े पैमाने पर बीयर का निर्माण होता है। सॉरेंसन ने यहीं काम करते हुए अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि पाई।
सॉरेंसन की पत्नी मारग्रेट हॉयरप सॉरेंसन भी वैज्ञानिक थीं। उन्होंने सॉरेंसन को उनकी पढ़ाई में बहुत सहायता की। कार्ल्सबर्ग लैब में काम करते समय दोनों ने लिपोप्रोटीन का आध्ययन किए और कार्बन मोनोक्साइड एवं हीमोग्लोबिन की जटिलताओं पर शोध की। 1917 में पति-पत्नि दुनिया के उन पहले लोगों में शामिल हो गए जिन्होंने लैब में प्रयोग के वक्त अंडे की जर्दी को क्रिस्टल के रूप में बदला।
पीएच 0 से 14 तक हो सकता है। यदि पीएच वैल्यू 7 से कम है तो पदार्थ को अम्लीय यानी ऐसिडिक माना जाता है और 8 से 14 तक पीएच वैल्यू वाले को क्षारीय कहा जाता है। 7 पीएच वैल्यू पदार्थ को न्यूट्रल माना जाता है। जितना नीचे की तरफ जाएगा उतना ज्यादा अम्लीय और जितना ज्यादा पीएच वैल्यू उतना ज्यादा क्षारीय पदार्थ होगा।