झारखंड: जैन और आदिवासी आमने-सामने, पारसनाथ पहाड़ी पर जनजातियों ने ठोका दावा, पांच राज्यों में आंदोलन करने की दी चेतावनी
आदिवासी संगठन आदिवासी सेंगेल अभियान (एएसए) ने बुधवार को घोषणा की कि वह 17 जनवरी को पांच राज्यों में विरोध प्रदर्शन करेगा, ताकि 'मारंग बुरु' (सर्वोच्च देवता) पारसनाथ हिल्स को जैनियों से मुक्त कराया जा सके।
संगठन ने कहा कि झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा और बिहार के 50 जिलों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और इस मुद्दे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा।
भाजपा के पूर्व सांसद और एएसए अध्यक्ष सलखन मुर्मू ने कहा, "परसनाथ हिल्स हम आदिवासियों के लिए मारंग बुरु या भगवान हैं, लेकिन जैनियों द्वारा हड़प लिया गया है। मारंग बुरु का संरक्षण आदिवासी समाज की सुरक्षा है।"
कई अन्य आदिवासी निकायों ने भी दावा किया है कि पारसनाथ हिल्स 'मारंग बुरु' है।
उन्होंने कहा कि आदिवासी 11 फरवरी को रांची के मोराबादी मैदान में फिर से विरोध प्रदर्शन करेंगे।
विभिन्न आदिवासी संगठनों ने घोषणा की है कि उनके सदस्य 30 जनवरी को खूंटी जिले के उलिहातू गांव में आदिवासी आइकन बिरसा मुंडा के जन्मस्थान पर एक दिन का उपवास करेंगे, ताकि पारसनाथ पहाड़ियों को "बचाने" के आंदोलन के साथ एकजुटता दिखाई जा सके।
बड़ी संख्या में आदिवासी मंगलवार को गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों के पास एकत्र हुए थे और राज्य सरकार और केंद्र से उनके पवित्र स्थल को जैन समुदाय के "चंगुल" से मुक्त करने का आग्रह कर रहे थे।
मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी थी।
झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के सैकड़ों आदिवासियों ने पारंपरिक हथियारों और ढोल नगाड़ों के साथ पहाड़ियों में प्रदर्शन किया।
देश भर के जैन पारसनाथ हिल्स को पर्यटन स्थल के रूप में नामित करने वाली झारखंड सरकार की 2019 की अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, उन्हें डर है कि इससे उन पर्यटकों का तांता लग जाएगा जो उनके पवित्र स्थल पर मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन कर सकते हैं।
आदिवासियों ने भी जैनियों से पहाड़ियों को "मुक्त" करने के लिए आंदोलन शुरू किया।