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19 July 2019

कुमारस्वामी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, कहा- राज्यपाल विधानसभा की कार्यवाही को निर्देशित नहीं कर सकते

कर्नाटक कांग्रेस के बाद अब मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी भी दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। कुमारस्वामी की ओर से सुप्रीम कोर्ट  के 17 जुलाई के उस आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग की गई है जिसमें कहा गया था कि बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। साथ ही कुमारस्वामी ने दावा किया कि जब विश्वास मत पर कार्यवाही चल रही है तो राज्यपाल वजूभाई वाला विश्वास मत पर कोई निर्देश नहीं दे सकते।

कुमारस्वामी का कहना है कि राज्यपाल ने निर्देश जारी किया कि विश्वास मत दोपहर 1:30 बजे से पहले पूरा कर लिया जाए, जो वह पूरा नहीं कर सकते। कुमारस्वामी ने शीर्ष अदालत को बताया कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस किस तरह से हो इसे लेकर राज्यपाल सदन को निर्देशित नहीं कर सकते। राज्यपाल के निर्देश शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के पूरी तरह विपरीत है। कुमारस्वामी ने दावा किया कि जब विश्वास मत पर कार्यवाही चल रही है तो राज्यपाल वजूभाई वाला विश्वास मत पर कोई निर्देश नहीं दे सकते।

कुमारस्वामी ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को राज्यपाल को पत्र लिखकर सूचित किया था कि सदन पहले ही विश्वास प्रस्ताव पर विचार कर रहा था और फिलहाल बहस चल रही है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने एक और पत्र भेजा है कि विश्वास मत शुक्रवार शाम 6 बजे से पहले होना चाहिए।

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याचिका में कहा गया है, "राज्यपाल की शक्तियां गवर्नर शक्तियों के संबंध में इस न्यायालय द्वारा तय किए गए सुव्यवस्थित कानून के पूर्णत: विपरीत हैं। राज्यपाल के निर्देश इस न्यायालय के निर्णय के उल्लंघन में पूर्व-निर्धारित हैं।"

कुमारस्वामी ने कहा कि दसवीं अनुसूची के तहत एक राजनीतिक दल को अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का संवैधानिक अधिकार है।

इससे पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने अदालत में याचिका दायर की है कि उनके पिछले आदेश से उनकी पार्टी के अधिकार का हनन हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विधायकों को व्हिप से छूट दी थी।

याचिका में कहा है कि कोर्ट के 17 जुलाई के आदेश के कारण पार्टी का अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का अधिकार खतरे में आ गया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि बागी विधायकों को बहुमत परीक्षण की कार्यवाही में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सदन की कार्यवाही में भाग लेने या न लेने का विकल्प दिया था। इस आदेश की वजह से 19 विधायक बहुमत परीक्षण में हिस्सा लेने नहीं आए थे। 

फैसले से कमजोर हुआ व्हिप जारी करने का अधिकार

याचिका में दावा किया गया है कि शीर्ष अदालत के आदेश से अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का राजनीतिक दल का अधिकार कमजोर हुआ है। राव ने कहा कि अदालत को इस आदेश पर स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए कि बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जाएगा। कांग्रेस ने कहा था कि इस मामले में पार्टी है ही नहीं, फिर उसके अधिकार को सुप्रीम कोर्ट कैसे रोक सकता है।

बिना व्हिप के बहुमत परीक्षण संभव नहीं: कांग्रेस

इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि कर्नाटक सरकार और बागी विधायकों के मामले में पार्टी कहीं भी पक्षकार नहीं है। ऐसे में हमें सुना जाना चाहिए। कोर्ट का यह निर्णय पार्टी को संविधान की दसवीं सूची में मिले व्हिप के अधिकार की सही व्याख्या नहीं कर सकता। आखिर बिना व्हिप के बहुमत परीक्षण कैसे संभव है? गैर हाजिर रहने वाले विधायक तो कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं। दूसरे राज्य में वर्तमान सरकार को अपदस्थ करने का षडयंत्र चल रहा है और उच्चतम न्यायालय ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।

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TAGS: Karnataka Congress, President Dinesh Gundu Rao, Supreme Court, petition, SC order, rebel MLAs violated, party's right, whip to its MLAs.
OUTLOOK 19 July, 2019
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