जानें कौन हैं सुप्रीम कोर्ट के वो 5 जज, जो अयोध्या केस में सुनाएंगे ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर शनिवार को फैसला सुना दिया। संविधान पीठ ने लगातार 40 दिनों तक मामले की सुनवाई की थी और 16 अक्टूबर को बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाले पांच जज कौन हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में-
रंजन गोगोई (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया)
सबसे पहले उस जज के बारे में जानते हैं जो इस पीठ की अगुवाई कर रहे हैं, वो हैं चीफ जस्टिस रंजन गोगोई। जिन्होंने 3 अक्टूबर 2018 को बतौर मुख्य न्यायधीश पदभार ग्रहण किया था। 18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन किया था। उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट से शुरुआत की, 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट में जज भी बने।
इसके बाद वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में बतौर जज 2010 में नियुक्त हुए, 2011 में वह पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 23 अप्रैल, 2012 को जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के जज बने। बतौर चीफ जस्टिस अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक मामलों को सुना है, जिसमें अयोध्या केस, एनआरसी, जम्मू-कश्मीर पर याचिकाएं शामिल हैं।
जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े
इस पीठ में दूसरे जज जस्टिस एस. ए. बोबड़े हैं, 1978 में उन्होंने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था। इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस की, 1998 में वरिष्ठ वकील भी बने। साल 2000 में उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार ग्रहण किया। इसके बाद वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने और 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली। जस्टिस एस. ए. बोबड़े 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे।
जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (डीवाई चंद्रचूड़)
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था। उनके पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। वहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट में भी वह बतौर जज रह चुके हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दुनिया की कई बड़ी यूनिवर्सिटियों में लेक्चर दे चुके हैं। बतौर जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। वह सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता समेत कई बड़े मामलों में पीठ का हिस्सा रह चुके हैं।
जस्टिस अशोक भूषण
जस्टिस अशोक भूषण का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 5 जुलाई 1956 को हुआ था। उनके पिता का नाम चंद्रमा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम कलावती श्रीवास्तव था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक अशोक भूषण ने साल 1979 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही फर्स्ट डिवीजन में एलएलबी की डिग्री भी हासिल की। 9 अप्रैल 1979 को वो उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में रजिस्टर्ड हुए और इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। साल 2001 तक वो वहां रहे। 24 अप्रैल 2001 को वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज नियुक्त किए गए। 2014 में वो केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 13 मई 2016 को अशोक भूषण को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया।
जस्टिस अब्दुल नजीर
अयोध्या मामले की पीठ के पांचवें जज हैं जस्टिस अब्दुल नजीर, जिन्होंने साल 1983 में वकालत की शुरुआत की। उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की, बाद में वहां बतौर एडिशनल जज और परमानेंट जज कार्य किया। 17 फरवरी, 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला।
जस्टिस नजीर देश के उन चुने हुए जजों में शामिल हैं जो बिना किसी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने सुप्रीम कोर्ट के जज बने हैं। सुप्रीम कोर्ट में अब्दुल नजीर अकेले ऐसे मुस्लिम जज हैं जिन्होंने 2017 में विवादास्पद तीन तलाक मामले की सुनवाई की और राम मंदिर पर उनका फैसला न्याय की दुनिया में हमेशा चर्चित रहेगा।
मध्यस्थता पर नहीं बन पाई थी बात
बता दें कि इस ऐतिहासिक मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट की ओर से मध्यस्थता का रास्ता अपनाने को कहा गया था, लेकिन ये सफल नहीं हो सका था। इसी के बाद 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक इस मामले की रोजाना सुनवाई चलती रही, अदालत ने हफ्ते में पांच दिन इस मामले को सुना। आखिरी कुछ दिनों में सुनवाई का वक्त एक घंटे के लिए बढ़ा दिया गया था।