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03 October 2019

कोरेगांव-भीमा केस में नवलखा की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के पांचवें जज ने भी मना किया

मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई करने से जस्टिस वाली बेंच से जस्टिस एस. रविंद्र भट ने भी खुद को अलग कर लिया। सुप्रीम कोर्ट के वह पांचवें जज हैं जिन्होंने केस की सुनवाई करने से इन्कार कर दिया। नवलखा ने कोरेगांव भीमा हिंसा केस में खुद के खिलाफ दायर की गई एफआइआर को खारिज करने के लिए बांबे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसे अस्वीकार किए जाने के हाई कोर्ट के फैसले को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए यह याचिका दायर की थी।

पहले इन चार जजों ने बेंच छोड़ी

इससे पहले पिछले 30 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी नवलखा की याचिका पर सुनवाई करने से खुद को अलग कर दिया है। इसके बाद एक अक्टूबर के बेंच के तीन जजों एन. वी. रमन, आर. सुभाष रेड्डी और बी. आर. गवई ने भी मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

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रवींद्र भट के अलग होने के बाद सुनवाई कल

गुरुवार को जब जस्टिस अरुण मिश्रा, विनीत सरन और आर. रवींद्र भट की बेंच के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए पाया गया तो भट ने सुनवाई करने से खुद को अलग कर लिया। जब नवलखा के वकील ने बेंच को बताया कि बांबे हाई कोर्ट द्वारा दी गई तीन सप्ताह की सुरक्षा शुक्रवार को खत्म हो रही है तो बेंच ने कहा कि याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को एक अन्य बेंच द्वारा की जाएगी।

एफआइआर खारिज करने से इन्कार किया था हाई कोर्ट ने

महाराष्ट्र सरकार ने केविएट दाखिल करके सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि इस मामले में कोई भी फैसला जारी करने से पहले उनका पक्ष सुना जाए। पिछले 13 सितंबर को बांबे हाई कोर्ट ने एफआइआर खारिज करने से इन्कार कर दिया। यह एफआइआर 2017 में हुई कोरेगांव-भीमा हिंसा केस को लेकर दायर की गई थी। पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद माओवादी लिंक होने का आरोप लगाते हुए यह एफआइआर दर्ज की थी।

हाई कोर्ट ने आरोपों को गंभीर माना

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि केस की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत जांच किए जाने की आवश्यकता है। हालांकि कोर्ट ने नवलखा को तीन सप्ताह तक किसी भी पुलिस कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की थी ताकि वे फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें।

पुणे पुलिस के ये हैं आरोप

पुणे पुलिस ने जनवरी 2018 में नवलखा और अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी क्योंकि 31 दिसंबर 2017 को एलगर परिषद की बैठक हुई थी जिसके बाद अगले दिन पुणे जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की। पुलिस ने नवलखा और अन्य पर माओवादियों से संबंध रखने और सरकार को उखाड़े फेंकने के लिए प्रयास करने का आरोप लगाया था।

केस में चार अन्य लोग भी हैं नामजद

नवलखा और अन्य पर गैरकानूनी गतिविधि नियंत्रण कानून (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के तहत केस दर्ज किया था। इस केस में वारानर राव, अरुण फेरेरा, वेरनोन गोंजाल्विस औ सुधार भारद्वाज को आरोपी बनाया गया है।

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TAGS: Koregaon-Bhima, Justice Bhat, Gautam Navlakha, UAPA, Varavara Rao, Elgar Parishad
OUTLOOK 03 October, 2019
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