लालू को फिर नहीं मिल पाई जमानत, इन वजहों से पड़ रहा है अड़ंगा
दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर अब छह सप्ताह बाद सुनवाई होगी। रांची हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति अपरेश कुमार की अदालत में सुनवाई हुई। लालू प्रसाद और सीबीआइ दोनों पक्ष के वकीलों द्वारा समय मांगे जाने के बाद अदालत में छह सप्ताह का समय दिया है। 22 जनवरी को अगली सुनवाई संभावित है। इस तरह जेल से निकलने की उम्मीद पाले लालू प्रसाद को तीसरी बार निराश होना पड़ा है।
लालू प्रसाद पशुपालन घोटाला से संबंधित चार मामलों में सजायाफ्ता हैं। तीन मामलों में आधी सजा काट लेने के कारण उन्हें जमानत मिल चुकी है। दुमका कोषागार से अवैध निकासी के चौथे मामले में अगर जमानत मिल जाती है तो लालू प्रसाद जेल से बाहर होंगे। मगर दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में आधी सजा काट चुके हैं, समय पर विवाद के कारण अदालत से समय दिया जा रहा है। इस मामले में तीसरी बार सुनवाई की तारीख आगे बढ़ गई है।
इसके पूर्व 6 नवंबर और 27 नवंबर को सुनवाई हुई थी। सीबीआइ के वकील की दलील थी कि दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद ने आधी सजा नहीं काटी है। हाई कोर्ट ने तब लालू प्रसाद के वकील से दुमका कोषागार मामले में आधी सजा काट लेने का प्रमाण पत्र पेश करने को कहा था। यह प्रमाण पत्र हासिल नहीं होने के कारण लालू प्रसाद के वकील इसे अदालत में पेश नहीं कर सके।
लालू प्रसाद के अधिवक्ता प्रभात कुमार के अनुसार निचली अदालत से सर्टिफाइड कॉपी के लिए आवेदन किया है, कॉपी नहीं मिली है इसलिए जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिनों का समय मांगा था, दूसरी तरफ सीबीआइ की ओर से छह सप्ताह का समय मांगा गया। दरअसल सीबीआइ के वकील राजीव सिन्हा की मां का निधन हो गया है।
दुमको कोषागार मामले में सजा की मियाद के विवाद को लेकर ही 27 नवंबर की सुनवाई 11 दिसंबर के लिए टाल दी गई थी। दुमका कोषागार मामले में 24 मार्च 2018 को लालू प्रसाद को सात साल की सजा सुनाई गई थी। 6 नवंबर को सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद की ओर से दाखिल सजा की आधी अवधि काट लेने को लेकर सीबीआइ ने जवाब समय मांग लिया था। लालू प्रसाद की ओर से कहा गया है कि इस मामले में वे 42 माह से अधिक जेल में गुजार चुके हैं जबकि सीबीआइ का कहना है कि 34 माह ही जेल में रहे हैं। बीमारी को भी जमान के लिए आधार बनाया गया है।