मालेगांव विस्फोट: सालियान पर दबाव के आरोप खारिज
रोहतगी ने इसके साथ ही जनहित याचिका पर सरकार और एजेंसी की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र में नई सरकार विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सलियान पर आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाने का दबाव डाल रही थी। इससे पहले, 11 सितंबर को शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर केंद्र और जांच एजेंसी से जवाब-तलब किया था। सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की इस जनहित याचिका में एनडीए सरकार पर आरोप लगाया गया है कि वह रोहिणी पर आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाने के लिए दबाव डालकर इस मामले में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रही है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि कार्यपालिका न्याय प्रणाली को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों ने तत्कालीन विशेष लोक अभियोजक पर दबाव डाला। माना जा रहा है कि ऐसा उसके राजनीतिक आकाओं के इशारे पर ही किया गया। रोहिणी सालियान इस मामले में विशेष लोक अभियोजक थीं और उन्होंने आरोप लगाया था कि जांच एजेंसी के अधिकारी ने उनसे कहा था कि आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाएं। उन्होंने यह भी दावा किया था कि इसी अधिकारी ने उनसे कहा था कि उसे हटा दिया जाएगा। सालियान अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पैनल के वकीलों में नहीं हैं। इस मामले में ले. कर्नल एस पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर मुख्य आरोपी हैं।
इस मामले में दायर चार हजार पन्नों के आरोप पत्र में कहा गया है कि विस्फोट के लिए मालेगांव का चयन किया गया क्योंकि यहां अच्छी-खासी मुस्लिम आबादी है। आरोप पत्र के अनुसार प्रज्ञा सिंह ठाकुर, पुरोहित और एक अन्य आरोपी स्वामी दयानंद पांडे मुख्य षड़यंत्रकारी थे। आरोप पत्र के अनुसार पांडे ने पुरोहित को आरडीएक्स की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था जबकि प्रज्ञा के स्वामित्व वाली मोटरसाइकिल का इस्तेमाल विस्फोट में किया गया। मालेगांव मे 29 सितंबर, 2008 को हुए इस विस्फोट में चार व्यक्ति मारे गए थे और करीब 80 अन्य जख्मी हुए थे।