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14 November 2016

नोटबंदी का असर, शादी विवाह का मौसम बुरी तरह प्रभावित

गूगल

शादी विवाह के मौसम में इससे जुड़े कारोबारियों का सबसे ज्यादा कारोबार होता है, लेकिन बाजार में नकदी नहीं होने से समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। राजधानी दिल्ली में तो बारात में शामिल होने वाले अनेक बैंड अपने ग्राहकों को पूरा पैसा चुकाने के लिए एक माह की समयसीमा दे रहे हैं, लेकिन अभी लोगो के पास पूर्व में भुगतान करने के लिए भी पैसा नहीं है। टैगोर गार्डन में शादी विवाह कराने वाले सिंधी हीरानंद बैंड के मालिक पंकज ने कहा, लोगों के पास नई नकदी नहीं है, इसलिए हमारा कारोबार प्रभावित हो रहा है। उल्लेखनीय है कि भारतीय शादियां असाधारण व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन शादी विवाह की दावतों के लिए व्यंजन बनाने वाले कैटरर्स भी आर्डर रद्द होने की समस्या से जूझ रहे हैं। रॉयल कैटरर्स के मनोज ने बताया, कुछ लोग मुझे सिर्फ यह बताने के लिए फोन कर रहे हैं कि हम लोग पैसा देने की हालत में नहीं हैं, इसलिए वह अपना ऑर्डर रद्द कर रहे हैं। मेरे यहां काम करने वाले दिहाड़ी कर्मचारी हैं और मुझे भी नहीं पता कि मैं उन्हें भुगतान कैसे करूंगा।

राजेन्द्र गुप्ता जिनकी शादी 24 नवंबर को तय है, उन्होंने कहा, कल मेरे दरवाजे पर कुछ लोग पैसा लेने के लिए दस्तक दे रहे थे। दरवाजे के ठीक बाहर का माहौल रोमांच से भरा है। शादी का उत्सव एक बुरे सपने में बदल गया है। हालांकि, उन्होंने सरकार के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि यह समस्या नए नोटों को लाने के बारे में सही प्रबंधन नहीं होने के कारण है। उन्होंने कहा, आप लोग यह उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि जिसके घर में शादी होने वाली हो, वह जाकर नोट बदलने की लंबी कतार में खड़ा रहे? अगर वह ऐसा करता भी है, तो उसे 10,000 या इससे कम रूपये ही मिलेंगे, जिससे उसका शादी का खर्च निकालने का लक्ष्य पूरा नहीं होगा। उन्होंने कहा, विमुद्रीकरण के बाद 500 और हजार रपये के नोट लेने अथवा इन्हें बदलने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। पहले पुराने नोटों को जमा कराने के लिए कतार लगाइये और फिर उन्हें बदलने के लिए कतार में खड़े होइए। इसके बावजूद आपके पैसा निकालने की समयसीमा तय है।

शादी-विवाह के कपड़े बेचने वाले एक दुकानदार ने बताया कि हमारे यहां भी खरीदारों की कमी है। एक दुकानदार ने कहा, खर्च करने के लिए बहुत कम पैसे हैं। कपड़े खरीदना उनकी सूची में सबसे अंत में है। वह लोग अन्य चीजों में खर्च करते हैं, लेकिन हमारे यहां खरीदारों की कमी है और इस समय हमारे कारोबार में करीब 80 फीसद तक की गिरावट आई है।

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OUTLOOK 14 November, 2016
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