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02 April 2019

अपनी और हाथियों की मूर्ति पर सुप्रीम कोर्ट में बोलीं मायावती, 'ये लोगों की इच्छा थी'

File Photo

बहुजन समाज पार्टी(बसपा) की मुखिया मायावती ने मूर्तियों पर पैसे खर्च करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के जवाब में मंगलवार को एक हलफनामा दाखिल किया है। उन्होंने अपने हलफनामे में कहा है कि उनकी मूर्तियां जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हैं। अपने हलफनामे में मायावती ने कहा कि हाथियों के अलावा उनके स्टैचू को लगाने से पहले प्रक्रिया का पालन किया गया था और लोगों की इच्छा थी कि उनकी मूर्तियां लगनी चाहिए।

मूर्तियां जनता की इच्छा औरजनादेश को दर्शाती हैं

मायावती ने यह भी कहा कि मूर्तियां जनता की इच्छा को दर्शाती हैं, जनादेश को दर्शाती हैं। विधानसभा के विधायक चाहते थे कि कांशी राम और दलित महिला के रूप में मायावती के संघर्षों को दर्शाने के लिए मूर्तियां स्थापित की जाएं। मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा कि अन्य राजनीतिक पार्टियां भी राजनेताओं की मूर्तियां बनवाती हैं। यह उन राजनेताओं के प्रति चाह और समर्थन को दर्शाता है।

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हाथी भारतीय पारंपरिक कलाकृतियों के भी चिन्ह हैं

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हाथियों की मूर्तियों पर सफाई देते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि हाथी केवल बसपा का प्रतिनिधित्व नहीं करते। वे भारतीय पारंपरिक कलाकृतियों के भी चिन्ह हैं। मायावती की ओर से कहा गया है कि मूर्तियों के खिलाफ दाखिल याचिका राजनीतिक रूप से प्रेरित है। मूर्ति के मुद्दे को उठाने से जनता का कोई मतलब नहीं है।  

मायावती ने मूर्तियों पर खर्च की गई सरकारी रकम को न्यायोचित ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा कि मूर्तियों का निर्माण राज्य विधानसभा में पर्याप्त चर्चा के बाद बजट आवंटित करके किया गया था। कोर्ट विधायकों द्वारा बजट के संबंध में लिए गए निर्णयों पर सवाल नहीं कर सकता।

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि मायावती ने अपनी और हाथियों की मूर्तियां बनाने में जितना जनता का पैसा खर्च किया है, उसे वापस करना चाहिए। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में दायर रविकांत और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि मायावती को मूर्तियों पर खर्च सभी पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील को कहा था कि अपने क्लाइंट को कह दीजिए कि सबसे वह मूर्तियों पर खर्च हुए पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराएं।

एक रिपोर्ट में किया गया था ये दावा

उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के दौरान लखनऊ विकास प्राधिरकरण के सामने एक रिपोर्ट पेश हुई थी जिसमें दावा किया गया था कि लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बनाए गए पार्कों पर कुल 5,919 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी की पत्थर की 30 मूर्तियां जबकि कांसे की 22 प्रतिमाएं लगवाई गईं थी। इसमें 685 करोड़ का खर्च आया था। इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इन पार्कों और मूर्तियों के रखरखाव के लिए 5,634 कर्मचारी बहाल किए गए थे।

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TAGS: Mayawati, justifies, construction of statues, in UP, tells SC, represent will of people
OUTLOOK 02 April, 2019
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