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28 May 2020

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश; प्रवासी मजदूरों से नहीं लिया जाएगा किराया, भोजन की हो व्यवस्था

File Photo

प्रवासी मजदूरों के संकट पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि श्रमिकों को घर वापस जाने के लिए बस और ट्रेन का किराया नहीं देना होगा। इसका भुगतान राज्य सरकार करेगी। जस्टिस अशोक भूषण, एस के कौल और एम आर शाह की पीठ ने यह भी कहा कि फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा तब तक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा, जब तक वे घर वापस जाने के लिए ट्रेन या बस में सवार नहीं हो जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य स्टेशन तक भोजन और पानी उपलब्ध कराएंगे। इसके बाद रेलवे को यात्रा के दौरान उपलब्ध कराना होगा।

इससे पहले कोर्ट ने केंद्र से कई तीखे प्रश्न पूछे। पीठ ने तुषार मेहता से पूछा कि प्रवासी श्रमिकों को अपने मूल स्थानों पर जाने के लिए कितना इंतजार करना होगा? कौन उनके आवागमन के खर्च, भोजन और रहने की जगह देगा? कोर्ट ने यह भी कहा कि वे फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के जाने का किराया भुगतान करने के भ्रम को स्पष्ट करें। केंद्र को स्पष्ट नीति बनानी चाहिए। 

खाना-पानी की राज्य करे व्यवस्था: सुप्रीम कोर्ट

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कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रवासी श्रमिकों को भोजन और पानी की व्यवस्था तब तक कराया जाएगा, जब तक कि वो अपने गंतव्य तक जाने वाली ट्रेन या बस में बैठ नहीं जाते। कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि स्टेशन तक की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। उसके बाद यात्रा के दौरान रेलवे को इन चीजों को मुहैया कराना होगा।

'केंद्र बनाए स्पष्ट नीति'

पीठ ने तुषार मेहता से पूछा, “प्रवासियों को उनके घर छोड़ने के लिए सामान्य समय क्या है? यदि किसी प्रवासी की पहचान की जाती है, तो कुछ निश्चितता होनी चाहिए कि वह एक सप्ताह अथवा दस दिनों के भीतर अपने घर के लिए भेजा जाएगा? ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां एक राज्य प्रवासियों को भेजता है लेकिन सीमा पर दूसरा राज्य प्रवासियों को स्वीकार करने से इनकार कर देता है। इसलिए इस पर एक स्पष्ट नीति की आवश्यकता है।"

कोर्ट ने पूछा- कौन करेगा यात्रा का भुगतान

कोर्ट ने प्रवासियों से वसूले जा रहे यात्रा-किराया पर सवाल उठाते हुए कहा, “हमारे देश में, बिचौलिए हमेशा रहेंगे। लेकिन जब हम किराए के भुगतान की बात करते हैं तो इसमें बिचौलियों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। इसके लिए स्पष्ट नीति होनी चाहिए कि यात्रा का भुगतान कौन करेगा।”

91 लाख श्रमिकों को उनके गंतव्य तक छोड़ा गया: केंद्र

वहीं, कोर्ट के सामने आंकड़े रखते हुए तुषार मेहता ने कहा कि एक से 27 मई के बीच 3700 ट्रेनें चलाई गई है। अभी तक 91 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य तक छोड़ा गया है।

 

 

 

 

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TAGS: Need Clear Policy, SC To Centre, Migrant Crisis, Migrant Workers Won't Be Charged
OUTLOOK 28 May, 2020
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