असम में इंटरनेट बहाल, सीएम सोनोवाल बोले- नागरिकता कानून से असम की पहचान को कोई खतरा नहीं
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं पूर्वोत्तर राज्यों में भी इसे लेकर बवाल मचा हुआ है। हालांकि अब असम में प्रदर्शन थमता हुआ दिखाई दे रहा है। लिहाजा असम में इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गई है। इस बीच मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया है कि उनके अधिकार पूरी तरह सुरक्षित हैं। सोनोवाल ने कहा कि कुछ लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि कुछ लोग गलत सूचना और फर्जी खबरें फैला रहे हैं। ये लोग समाज के दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि असमिया भाषा को हमेशा के लिए राज्य भाषा के रूप में संरक्षित किया जाएगा और सरकार इसे करेगी। सीएम का कहना है कि किसी भी तरह से असम का सम्मान प्रभावित नहीं होगा। वे लोगों के समर्थन में हमेशा रहेंगे और राज्य में शांति के साथ आगे बढ़ेंगे।
सोनोवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'नागरिकता संशोधन कानून से असम की संस्कृति, पहचान या लोगों को कोई खतरा नहीं है। असम में हालात शांतिपूर्ण और सामान्य हैं। इंटरनेट सेवाएं भी शुक्रवार से बहाल कर दी गई हैं।' उन्होंने कहा, 'मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि कोई भी असम के बेटों के अधिकारों को नहीं चुरा सकता है, हमारी भाषा या हमारी पहचान के लिए कोई खतरा नहीं है।'
पूरे असम में जारी विरोध प्रदर्शन
नागरिकता कानून के खिलाफ गुरुवार को भी पूरे असम में प्रदर्शन हुए। कई सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने गुवाहाटी और राज्य के कई स्थानों पर धरने दिए। हालांकि इस बीच कहीं से हिंसा की कोई खबर नहीं आई। गुवाहाटी हाई कोर्ट बार संघ ने अदालत परिसर के अंदर ‘सत्याग्रह’ किया और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) द्वारा आयोजित राज्यव्यापी आंदोलन में हिस्सा लिया।
भाजपा विधायकों ने की अपील, पीएम मोदी से करें बात
इससे पहले गुरुवार को असम में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों को लेकर भाजपा के 10 से अधिक विधायकों ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से मुलाकात की। इन विधायकों ने सीएम सोनोवाल से अपील की कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करके गतिरोध खत्म करने की कोशिश करें।