मोदी ने नहीं दिखाया साहस
आउटलुक ने सवाल उठाया था कि क्या केजरी की शपथ में जाने का साहस करेंगे मोदी। दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान आप और भाजपा ने एक-दूसरे के खिलाफ़ कई तीखे आरोप लगाये थे। मोदी ने केजरीवाल को नक्सली और अराजक कहा था। कुछ भाजपा नेताओं ने तो उन्हें चोर और बंदर तक कह डाला।
केजरीवाल जानते हैं कि बिना केन्द्र सरकार की मदद के उनके लिए दिल्ली में सरकार चलाना मुश्किल होगा। जिस तरह के वादे केजरीवाल ने चुनाव से पहले किए थे। उन्हें पूरा कर पाना केंद्र सरकार की सहमति के बिना संभव नहीं है। इसलिए चुनाव में बंपर बहुमत मिलने से लेकर शपथ ग्रहण के बीच केजरीवाल ने उन तमाम भाजपा नेताओं से मुलाक़ात की जो केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर हैं। और आप के वादों को पूरा करने में सहयोग कर सकते हैं।
आप ने दिल्ली को पूर्ण राज्य दिलाने का वादा किया था। अगर केन्द्र इसमें अड़ंगा लगाता है तो आप अपना यह वादा पूरा नहीं कर पाएगी। दूसरा अहम मुद्दा दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार के अधीन करना भी है। इसलिए केजरीवाल ने शपथ लेने से पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की।
राज्य में कार पार्किंग, झुग्गियों और अनाधिकृत कॉलोनियों का सवाल भी अहम सवाल है। दिल्ली की ज़मीन दिल्ली डेवलेपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) के पास है। और डीडीए केंद्र सरकार के अधीन है। बिना केंद्र सरकार के दिल्ली सरकार पार्किंग, झुग्गियों और अनाधिकृत कॉलोनियों की समस्या को नहीं सुलझा सकती। इसलिए केजरीवाल शहरी विकास मंत्री वैंकया नायडू से भी मुलाक़ात कर चुके हैं।
मोदी आम आदमी पार्टी के सारे मुद्दों के बारे में जानते हैं। अगर वह केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में जाते हैं तो उन्हें इन मुद्दों पर भी अपना रुख स्पष्ट करना पड़ सकता है। क्योंकि रामलीला मैदान में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में केजरीवाल मोदी को घेरने की कोशिश कर सकते हैं। इस असुविधाजनक स्थिति से बचने का यही रास्ता है कि मोदी शपथ ग्रहण समारोह जाने का साहस न करें। मोदी यही कर रहे हैं।