पूर्व पीएम की समाधि को लेकर सियासत
इस प्रस्ताव को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान का कहना है कि राव को अयोध्या में बाबरी ढांचे को ढहाकर वहां चबूतरा बनवा देने के लिए पुरस्कृत करना जैसा होगा। लेकिन बताया जा रहा है कि मोदी सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि पूर्व प्रधानमंत्रियों का दिल्ली में स्मारक बनवाया जा सके। इससे पहले यूपीए सरकार ने 2013 में यह निर्णय किया था कि किसी नेता के लिए अब अलग से कोई स्मारक नहीं बनेगा। इस निर्णय के पीछे उसने जगह की कमी का हवाला दिया था।
एनडीए सरकार के प्रस्ताव के तहत स्थान की कमी के मद्देनजर एक साझा स्मारक स्थल बनाया गया। 22.56 एकड़ से अधिक भूमि में बना एकता स्थल विजय घाट एवं शांतिवन के बीच में यमुना नदी के पास स्थित है। इस परिसर में फिलहाल पूर्व प्रधानमंत्री आईके गुजराल एवं चंद्रशेखर तथा पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, शंकरदयाल शर्मा, केआर नारायणन एवं आर वेंकटरमण के स्मारक हैं। साझा स्मारक स्थल बनने से जगह की जो कमी बताई जा रही थी वह समस्या दूर हो जाएगी।
लेकिन आजम खान सरकार के इस प्रस्ताव पर भाजपा पर निशाना साधते हैं। आजम खान के मुताबिक केंद्र सरकार नरसिंहा राव के नाम पर एक स्मारक बनवाने जा रही है। यह 1992 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ गुप्त समझौता करके 6 दिसंबर को विवादित बाबरी ढांचे को गिरवाकर आठ दिसंबर को वहां चबूतरा बनवा देने का पुरस्कार है। उन्होंनेे कहा, केंद्र सरकार की कोशिश यह है कि 1992 में प्रधानमंत्री रहे नरसिंहा राव और आरएसएस के बीच गुप्त समझौते के बाद अयोध्या में जो हुआ, वह इतिहास का हिस्सा बन जाए और दुनिया भर से दिल्ली आने वाले सैलानियों को इस अपमानजनक विध्वंस का संदेश दिया जा सके। आजम ने कहा कि इस प्रकार के कार्य समाज में आपसी रिश्तों को खराब करने का काम तो कर सकते है, रिश्ते बनाने वाले नहीं हो सकते।