मुंबई में चार मंजिला इमारत गिरी, अब तक 13 की मौत, बचाव और तलाशी अभियान जारी
दक्षिण मुंबई के भीड़भाड़ वाले डोंगरी इलाके में एक इमारत ढहने से अब तक 13 लोगों की मौत हो गई है। वहीं एनडीआरएफ की टीम बुधवार को भी यहां बचाव और तलाशी अभियान में लगी हुई है।
एनडीआरएफ बटालियन के पीआरओ सचिदानंद गावड़े ने कहा, "अब तक छह पुरुषों, चार महिलाओं और तीन बच्चों सहित 13 लोगों को मृत घोषित कर दिया गया है, जबकि नौ को चोटें आई हैं और उनका मेडिकल करवाया गया है।" गावडे ने कहा कि खोज और बचाव अभियान पूरी रात जारी रहा और अभी भी जारी है। उन्होंने कहा, "यह (खोज और बचाव अभियान) तब तक चलेगा जब तक कि मलबे के आखिरी टुकड़े को मौके से नहीं हटाया जाता है।"
इस घटना पर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि इमारत करीब 100 साल पुरानी है लेकिन वह खस्ताहाल इमारतों की सूची में नहीं थी, उसे पुन:विकास के लिए डेवेलपर को दिया गया था। इस बिल्डिंग में 10-15 परिवार रह रहे थे।
दमकल विभाग, मुंबई पुलिस और निगम अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं लेकिन संकरी गलियों के कारण राहत एवं बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं।
मुस्लिम बहुल इस इलाके में दुर्घटनास्थल पर स्थानीय लोग और वहां पहुंचे अन्य लोग बचावकर्मियों की मदद करते हुए नजर आये। उन्होंने मानव श्रृंखला बनाकर मलबा हटाने में हाथ बटाया। वहां बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किये गये। संकरी गलियों की वजह से बचाव काम में पहले ही बाधा आ रही थी। उस पर मंत्रियों, विधायकों, विपक्षी नेताओं आदि के पहुंचने से उसमें और भी देरी हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों की मौत पर दुख जताया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘मुंबई के डोंगरी में इमारत गिरने की घटना दुखद है। मैं मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। महाराष्ट्र सरकार, एनडीआरएफ और स्थानीय अधिकारी राहत अभियान में लगे हैं और जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं।’’
“यह बिल्डिंग बहुत पुरानी थी और लंबे समय से जर्जर दशा में थी”
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इमारत महाराष्ट्र आवास एवं विकास प्राधिकरण (म्हाडा) की है। हालांकि म्हाडा के मरम्मत बोर्ड के प्रमुख विनोद घोसालकर का कहना है कि इमारत संस्था की नहीं थी।
विधायक भाई जगताप ने कहा कि कुछ बाशिंदों ने आवास प्राधिकरण से शीघ्र कदम उठाने की अपील की थी क्योंकि यह बिल्डिंग बहुत पुरानी थी और लंबे समय से जर्जर दशा में थी। वैसे इस बिल्डिंग के गिरने के बाद भी इसके कुछ हिस्से खड़े हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि इस साल करीब 500 इमारतें जर्जर घोषित की गयी थी लेकिन उनमें से केवल 68 को ही खाली कराया गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा, ‘‘ यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुंबई में हर साल मानसून के दौरान कुछ ऐसा हो जाता है। दीवारें ढह जाती हैं, सड़कों में गड्ढ़े हैं जहां लोग मरते है और बच्चे मेनहोल में गिर जाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि मुम्बई वासियों को बार बार होने वाली ऐसी समस्याओं के लिए सरकार से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए।
एजेंसी इनपुट