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20 December 2017

तीन तलाक विधेयक पर मुस्लिम संगठनों से नहीं ली गई सलाहः सरकार

File Photo

सरकार ने तुरंत तीन तलाक कहने पर अपराध बनाने संबंधी विधेयक पर मुस्लिम संगठनों से मशवरा नहीं किया।

बुधवार को लोकसभा में यह जानकारी देते हुए कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक महिलाओं के सम्मान और लैंगिग समानता में मददगार होगा। सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद तुरंत तलाक या तलाक-ए-बिद्दत चलन में बना हुआ है, जिसके लिए कानून लाए जाने की जरूरत है। मुस्लिम संगठनों से मशवरा करने के सवाल पर कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी ने इसका जवाब नहीं में दिया।

एक अन्य लिखित जबाव में प्रसाद ने कहा कि सरकार का मानना है कि महिलाओं के सम्मान और लैंगिग समानता का मुद्दा मानवता से जुड़ा है और इसमें धर्म या विश्वास से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत तलाक पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं उसके बावजूद इस तरह के तलाक के 66 मामले दर्ज किए गए हैं।

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मालूम हो कि 15 दिसम्बर को केंद्रीय कैबिनेट ने तीन तलाक पर विधेयक को मंजूरी दी है, जिसमें तुरंत तीन तलाक को अवैध और शून्य करार दिया है और इसके लिए पति को जेल की सजा का प्रावधान भी दिया गया है। जुर्माना और सजा कितनी होगी यह मामले की सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट तय करेगा।

प्रस्तावित कानून तुरंत तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत पर लागू होगा और पीड़ित को यह अधिकार होगा कि वह मजिस्ट्रेट से अपने और बच्चों के लिए भत्तों तथा अपने नाबालिग बच्चों के संरक्षण की मांग कर सकती है। प्रस्तावित विधेयक में मौखिक, लिखित, इलैक्ट्रॉनिक साधन मसलन एसएमएस, ई-मेल और व्हाट्स-अप पर तुरंत दिया गया तीन तलाक अवैध और शून्य माना जाएगा।

 

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TAGS: muslim bodies, triple talaq, govt, consulted
OUTLOOK 20 December, 2017
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