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04 September 2022

नैनीतालः लौटने लगा ब्रिटिश कालीन शिल्प का सौंदर्य

लंदन से मिलती जुलती अपनी आबोहवा के कारण ही नैनीताल अंग्रेजों की पसंद बना। 1842 से अंग्रेजों ने नैनीताल को लंदन की तर्ज पर बहुत तसल्ली और खूबसूरती से बसाया और सजाया। इसकी बसावट और शिल्प की सुंदरता देखते ही बनती थी। राज भवन तथा अन्य कुछ अन्य भवनों को गोथिक शैली में बनाया गया, तो प्रसिद्ध बड़ा बाजार और स्थानीय बाजारों को लंदन की डाउनिंग स्ट्रीट की तर्ज पर सजाया गया।

लेकिन पिछले 30 -35 वर्षों में जिस प्रकार कंक्रीट के जंगल में तब्दील होते विकास को नैनीताल ने अपना विकास माडल समझा था। उस विकास के मॉडल से पर्यटक तथा स्थानीय नागरिक सभी निराश थे। नैनीताल के पुराने खूबसूरत दिन फिर लौट आए यह सब के दिल की ख्वाहिश थी।


वर्ष 2021 में धिराज गर्ब्याल जिलाधिकारी नैनीताल बन कर आएं। जो खुद भी कॉलेज के शिक्षा के दिनों से नैनीताल में ही पले बड़े थे। वे नैनीताल के मिजाज को खूब पहचानते थे। उन्होंने नैनीताल शहर के बिखर रहे पुरातात्विक सौंदर्य को फिर से उसी पुरातन स्वरूप में संवारने का संकल्प लिया।
सबसे पहले शहर के मुहाने पर उभर आए बदनुमा दाग से रिक्शा स्टैन्ड को तिबारी काष्ठ शिल्प से संजाया। फिर बड़ा बाजार और खड़ी बाजार को लंदन के बाजार की तर्ज पर सजाने का संकल्प लिया। थिएटर और नाटक जो नैनीताल शहर की पहचान रही है, उसके इतिहास पुरुष बीएम शाह जिन्होंने प्रसिद्ध "बेडू -पाको" को पुनसृर्जित किया, जिन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में उत्तराखंड को अलग पहचान दी, की स्मृति में शहर के मध्य एक ओपन थिएटर का सपना संजोया।

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यह सब ऐतिहासिक कार्य जिन्होंने नैनीताल शहर के पुरातात्विक महत्व एवं सौंदर्य में चार चांद लगा दिए,को उन्होंने महज एक साल से भी कम समय में न केवल पूरा कर दिखाया ,बल्कि पूरा कर उन्हें जनता को समर्पित कर दिया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन सब ऐतिहासिक कार्यों का लोकार्पण कर जिलाधिकारी नैनीताल पीठ थपथपाई।

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TAGS: नैनीताल, ब्रिटिश कालीन शिल्प, Nainital British carpet craft
OUTLOOK 04 September, 2022
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