Advertisement
23 March 2017

ओबीसी के लिए नया आयोग, मिलेगा संवैधानिक दर्जा

गूगल

 सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) की मांग स्वीकार करते हुए आयोग के गठन को मंजूरी दी है। ओबीसी तबके की मांग थी कि उनके लिए अनुसूचित जाति आयोग एवं अनुसूचित जनजाति आयोग की तर्ज पर संस्था का गठन किया जाए। अनुसूचित जाति आयोग एवं अनुसूचित जनजाति आयोग संवैधानिक संस्थाएं हैं।

कैबिनेट ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को भंग करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। इससे वह कानून निष्प्रभावी हो जाएगा जिसके तहत आयोग की स्थापना की गई थी। एनसीबीसी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक वैधानिक संस्था थी। इसकी स्थापना 14 अगस्त 1993 को हुई थी। इस आयोग का काम भेदभाव की शिकायतों और अधिकारियों की ओर से आरक्षण नियमों को लागू नहीं किए जाने जैसे विभिन्न मुद्दों पर पिछड़े वर्ग से संबंधित लोगों की शिकायतों को प्राप्त करना था।

बहरहाल, एनसीबीसी को ओबीसी से संबंधित लोगों की शिकायतों पर विचार करने का अधिकार नहीं था। संविधान के अनुच्छेद 338 (10) के साथ अनुच्छेद 338 (5) को पढ़ने पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग पिछड़े वर्गों से जुड़े लोगों की सभी शिकायतों, अधिकारों एवं सुरक्षा उपायों पर विचार करने के लिए सक्षम संस्था है।

Advertisement

एनसीएसईबीसी को संवैधानिक दर्जा देने वाला विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे। यह कदम उन मांगों के बाद उठाया गया है जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति के लिए राष्ट्रीय आयोग और अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग जिस तरह से शिकायतें सुनता है उसी तरह पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग को ओबीसी वर्ग की शिकायतें सुनने की अनुमति देने के लिए संवैधानिक दर्जा दिया जाए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: केंद्रीय कैबिनेट, राष्ट्रीय आयोग, केंद्र, पिछड़ा वर्ग, संवैधानिक दर्जा
OUTLOOK 23 March, 2017
Advertisement