गाजीपुर बॉर्डर बंद; प्रदर्शनकारी किसानों को आज रात तक जगह खाली करने के आदेश, टिकैत- 'नहीं करेंगे खाली, गोली चलाए पुलिस'
गाजियाबाद जिलाधिकारी ने नए कृषि संबंधी तीन कानूनों के विरोध में दिल्ली-यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 2 महीने से चले आ रहे आंदोलन को खाली कराने के निर्देश दिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, इसको लेकर किसानों को अल्टीमेटम दे दिया गया है और कहा गया है कि आज रात तक धरने स्थल को खाली कर दें। गाजीपुर बॉर्डर को बंद कर दिया गया है।
फिलहाल अधिकारी इस योजना पर काम कर रहे हैं कि कैसे जगह को खाली कराया जाए। बता दें उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में जहां भी किसान धरना प्रदर्शन हो रहा है उसे तत्काल प्रभाव से खत्म कराया जाए। दिल्ली-यूपी-गाजीपुर बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई है।
इस वक्त किसान नेता राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचकर किसानों को संबोधित कर रहे हैं। टिकैत ने सीधे-सीधे कहा है कि कोई जगह नहीं खाली होगी। उन्होंने कहा है कि जिसे जो करना है कर ले। पुलिस गोली चलाए। हम गोली खाएंगे लेकिन जगह खाली नहीं होगी। राकेश टिकैत ने सख्त लहजे में कहा है कि प्रशासन गुंडागर्दी कर रहा है। यदि कुछ भी होता है तो इसकी जिम्मेवारी प्रशासन की होगी।
गणतंत्र दिवस के दिन किसान संगठनों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में जिन 37 नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं उनमें डॉक्टर दर्शन पाल (बीकेयू क्रांतिकारी दर्शनपाल ग्रुप), कुलवंत सिंह संधू (जम्हूरी किसान सभा पंजाब), बूटा सिंह बुर्जगिल (भारतीय किसान सभा, धकोंडा), निर्भय सिंह धुड़ीके (कीर्ति किसान यूनियन, धुड़ीके ग्रुप), रुल्दू सिंह (पंजाब किसान यनियन, रुल्दू ग्रुप), इंदरजीत सिंह, किसान संघर्ष कमेटी (कोट बुद्धा ग्रुप), हरजिंदर सिंह टांडा (आजाद किसान संघर्ष कमेटी), गुरबख्श सिंह (जय किसान आंदोलन), सतनाम सिंह पन्नू शामिल हैं। वहीं, दिल्ली पुलिस ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि तय रूट का उल्लंघन किए जाने को लेकर क्यों न उन पर कार्रवाई की जाए।
इसके अलावा दर्ज मामले में किसान मजदूर संघर्ष समिति,(पिड्डी ग्रुप)' कंवलप्रीत सिंह पन्नू (किसान संघर्ष कमेटी पंजाब), जोगिंदर सिंह उग्राहा (भारतीय किसान यूनियन उग्राहां), सुरजीत सिंह फूल (भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी), जगजीत सिंह डालेवाल( भारतीय किसान यूनियन, सिद्धूपुर), हरमीत सिंह कड़ियां (बीकेयू, कड़ियां), बलबीर सिंह राजेवाल (भारतीय किसान यूनियन राजेवाल), सतनाम सिंह साहनी( भारतीय किसान यूनियन, दोआबा), बोघ सिंह मानसा (भारतीय किसान यूनियन, मानसा), बलविंदर सिंह औलख (माझा किसान कमेटी), सतनाम सिंह बेहरू( इंडियन फार्मर एसोसिएशन), बूटा सिंह शादीपुर (भारतीय किसान मंच), बलदेव सिंह सिरसा (लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी),जगबीर सिंह जाड़ा (दोआबा किसान समिति), मुकेश चंद्रा (दोआबा किसान संघर्ष कमेटी), सुखपाल सिंह डफ्फर (गन्ना संघर्ष कमेटी), हरपाल सिंह सांघा( आजाद किसान कमेटी दोआब), कृपाल सिंह नाथूवाला( किसान बचाओ मोर्चा), हरिंदर सिंह लाखोवाल (भारतीय किसान यूनियन लाखोवाल), प्रेम सिंह भंगू( कुलहिंद किसन फेडरेशन), गुरनाम सिंह चडूनी (भारतीय किसान यूनियन चडूनी), राकेश टिकैत (भारतीय किसान यूनियन), कविता कुमगुटी (महिला किसान अधिकार मंच), रिषिपाल अंबावाटा (भारतीय किसान यूनियन अंबावाटा), वीएम सिंह (ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी), मेधा पाटेकर ( नर्मदा बचाओ), योगेंद्र यादव( स्वराज इंडिया), अवीक साहा (जन किसान आंदोलनस्वराज इंडिया) तथा प्रेम सिंह गहलोत( ऑल इंडिया किसान सभा) शामिल हैं।
पुलिस का कहना है कि किसान संगठनों ने शांति बनाकर रैली आयोजित करने की जिम्मेदारी ली थी लेकिन किसान नेताओं ने नियम शर्तों को नहीं माना जिसके कारण राजधानी में कई जगह हिंसा की घटनाएं हुई। पुलिस ने अधिकतम संयम का परिचय देकर जिम्मेदार पुलिस की भूमिका को निभाया।