किसान आंदोलन को लेकर राकेश टिकैत का बड़ा बयान, अब केवल ये लोग हो सकेंगे शामिल
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुधवार को ‘काला दिवस’ मनाया और इस दौरान उन्होंने काले झंडे फहराए, सरकार विरोधी नारे लगाए, पुतले जलाए और प्रदर्शन किया। अब किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (भीकेयू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आंदोलन को लेकर बड़ा ऐलान किया है।
किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए लोगों का अब रजिस्ट्रेशन होगा। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अब कृषि विरोधी धरने में आने वालों का रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक टिकैत ने यूपी गेट पर धरनास्थल के मंच से कृषि कानून विरोधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कही है। इसके साथ टिकैत ने इशारों-इशारों में केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।
अब आंदोलन में आने वाले हर व्यक्ति का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इसके लिए समिति की ओर से तैयारी की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक टिकैत ने कहा है कि किसान चाहे पंजाब से आएं या फिर यूपी और अन्य राज्यों से, सभी को नियमों का पालन करना होगा। ऐसा पारदर्शिता के लिए किया जा रहा है।
किसानों और केंद्र के बीच अब तक दस से अधिक दौर की बातचीत हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट भी मामले पर सुनवाई करते हुए कानूनों पर अंतरिम रोक लगा चुका है। किसान इसे वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि केंद्र इसमें संशोधन की बात कह रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने बीते दिनों फिर से पीएम मोदी से बातचीत शुरू करने की मांग की है। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की गई है।
दिल्ली में बीते छह महीने से भी अधिक समय से किसान नए कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते दिनों हरियाणा के रेवाड़ी में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था, "सरकार एमएसपी पर कानून नहीं बनाती और किसानों के सभी मसलों पर बातचीत नहीं करेगी तब तक किसान यहां से नहीं जाएगा, वह यहां पर डटा रहेगा। कोरोना का रास्ता अस्पताल जाता है और किसान का रास्ता पार्लियामेंट जाता है, दोनों के रास्ते अलग है।" देशभर के किसान, खास तौर से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत अन्य राज्य के किसान राजधानी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इनकी मांग है कि केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। जब तक मांग मानी नहीं जाती है। तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा।