कम मानसून की कोई संभावना नहीं, इस साल जम के होगी बारिश
मौसम विभाग ने गुरुवार को कहा कि पूर्वोत्तर भारत को छोड़ समूचे देश में इस साल अच्छी वर्षा होने का अनुमान है। पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है। जुलाई और अगस्त में दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 107 और 104 फीसदी वर्षा होने की उम्मीद है। दूसरे दीर्घावधि का अनुमान जारी करते हुए मौसम विभाग के महानिदेशक लक्ष्मण सिंह राठौर ने कहा कि एजेंसी के शुरूआती अनुमान से काफी अधिक अंतर नहीं है और मॉनसून के मौसम (जून से सितंबर) में दीर्घावधिक औसत की 106 फीसदी वर्षा होगी, जो सामान्य से अधिक है। राठौर ने कहा, देश में कम वर्षा होने की शून्य गुंजाइश है जबकि सामान्य या अत्यधिक वर्षा की संभावना 96 फीसदी है।
केरल में बारिश को मॉनसून पूर्व बारिश बताते हुए राठौर ने कहा कि दक्षिण पश्चिमी मॉनसून के राज्य में अगले चार-पांच दिनों में आने की संभावना है। राठौर ने कहा कि केरल में एक बार मॉनसून सक्रिय हो जाने के बाद इसकी प्रगति तेज होगी, खासतौर पर पूर्वी और मध्य भारत में। देश के कई हिस्से भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं। इस मानसून के मौसम में पश्चिमोत्तर भारत में एलपीए की 108 फीसदी वर्षा होगी। पश्चिमोत्तर भारत के इन राज्यों में खाद्यान्न उत्पादक महत्वपूर्ण राज्य पंजाब और हरियाणा भी शामिल हैं, जहां पिछले दो वर्षों में कम वर्षा हुई है।
मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में एलपीए की 113 फीसदी वर्षा होगी जबकि पूर्वोत्तर भारत में 94 फीसदी वर्षा होने का अनुमान है जो सामान्य से कम है। एलपीए के 90 फीसदी से कम वर्षा को कम मॉनसून और एलपीए के 90-96 फीसदी को निम्न मॉनसून माना जाता है। अगर एलपीए के 96 से 104 फीसदी के बीच वर्षा होती है तो इसे सामान्य मॉनसून माना जाता है और 110 फीसदी से उपर को अधिक मॉनसून माना जाता है। भारत की जीडीपी में कृषि 15 फीसदी योगदान देती है और इसपर देश की 60 फीसदी आबादी आजीविका के लिए निर्भर है। देश की कृषि काफी हद तक मॉनसून पर निर्भर है क्योंकि सिर्फ 40 फीसदी कृषि योग्य भूमि पर अन्य साधनों से सिंचाई की व्यवस्था है। साल 2015-16 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में खराब मॉनसून की वजह से 10 राज्यों में सूखा घोषित किया गया है।