लोकतंत्र में मीडिया का नियमन नहीं कर सकते : नायडू
नायडू ने एक साक्षात्कार में कहा, लोकतंत्र में, एक मुक्त समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी संविधान से मिली होती है। आप मीडिया का नियमन नहीं कर सकते, यह मेरा विश्वास है। उन्होंने कहा कि स्वनियमन अच्छा होता है तथा नया विधेयक नहीं बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं प्रशासनिक दक्षता की आवश्यकता है।
बहरहाल, मंत्री ने कहा कि यदि अंतत: उल्लंघन होता है तो कानून पहले से ही उपलब्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सर्वोत्तम उपयोग तब होता है जब इस तरह की स्वतंत्रता की पूर्ण सराहना की जाती है। सूचना प्रसारण मंत्राी ने कहा, जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग समुचित ढंग से नहीं होता है तो हमारे कानून के जरिये जरूरी हस्तक्षेप किया जा सकता है। हम किसी तरह की मीडिया पर कोई नया प्रतिबंध लगाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। किन्तु सरकार सभी पक्षों से उम्मीद करती है कि वह विभिन्न मंचों का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करेंगे।
उन्होंने कहा कि मीडिया के लिए कुछ नियमन हैं जैसे वह कुछ भी एेसा नहीं दे सकती जो राष्ट्र विरोधी हो, देश हित के खिलाफ हो। नायडू ने कहा, कानून के तहत व्यापक दिशानिर्देश एवं मानक हैं और वे इन पहलुओं का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा, मुख्यधारा के पत्रकारों के लिए उनके संगठनों एवं प्रबंधन की ओर से कुछ नियमन हैं। किन्तु सोशल मीडिया के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है, चीजें निर्बाध चलती हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा, धीरे धीरे यह भावना बढ़ रही है कि सोशल मीडिया बेलगाम हो रहा है। हमें इसे देखने के लिए तरीके निकालने होंगे किन्तु जैसे ही आप मीडिया को नियंत्रित करना शुरू करते हैं, प्रभाव सकारात्मक नहीं होंगे। सोशल मीडिया के सन्दर्भ में इस बात को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया का ध्यान रखने के लिए भी कई कानून हैं तथा इन कानूनों को प्रभावी एवं समुचित ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। भाषा एजेंसी