यूपी में सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों को लेकर 300 से ज्यादा लोगों को नोटिस
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा के बाद प्रशासन अब कार्रवाई को अंजाम दे रहा है। रामपुर, गोरखपुर, लखनऊ और मेरठ समेत कई जिलों में प्रदर्शनों के दौरान हिंसा में संलिप्त पाए गए 300 से ज्यादा लोगों को नोटिस जारी किए हैं। इन लोगों को अपनी स्थिति समझाने या सार्वजनिक और निजी संपत्ति को हुए नुकसान के लिए भुगतान करने को कहा है।
जानकारी के अनुसार, अब तक संभल में 26, रामपुर में 28, गोरखपुर में 33, बिजनौर में 43, मेरठ में 141 और लखनऊ में 100 लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि उन लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं, जो घर छोड़कर फरार हैं या जिनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है।
रामपुर के अधिकारियों ने कहा कि पुलिस और जिला प्रशासन ने पूरे जिले में लगभग 25 लाख रुपये के नुकसान का आकलन करने के बाद मंगलवार को नोटिस जारी किए थे। पुलिस ने शुरू में कहा था कि लगभग 15 लाख रुपये का नुकसान हुआ है लेकिन अंतिम आकलन में यह आंकड़ा 25 लाख रुपये पहुंच गया।
नोटिस में सात दिन का समय
रामपुर के जिलाधिकारी आंजनेय सिंह ने कहा, ‘28 लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं, जिनकी पहचान विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के लिए की गई है। उन्हें उत्तर देने के लिए सात दिन का वक्त दिया गया है कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसमें नाकाम रहने पर सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उनसे धनराशि वसूलने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।’
अधिकारियों के अनुसार संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान शनिवार को रामपुर में 22 वर्ष के एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गई थी। कई स्थानीय व्यक्ति और पुलिसकर्मी घायल हो गए थे और पुलिस की एक मोटरसाइकल समेत छह वाहनों को आग लगा दी गई थी। पुलिस ने बताया कि रामपुर में हिंसा के सिलसिले में अभी तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 150 से अधिक की पहचान की गई है।
गोरखपुर में 33 को नोटिस, 1000 के खिलाफ एफआईआर
गोरखपुर में हिंसक प्रदर्शन में शामिल 33 लोगों को पुलिस ने नोटिस भेजा है। उनके खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है जबकि 1000 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने हिंसा में शामिल लोगों के फोटो जारी किए हैं और घोषणा की है कि उनके बारे सूचना देने वाले को इनाम दिया जाएगा। पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि अब तक 26 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। पुलिस की ओर से जारी फोटो के आधार पर अन्य कई लोगों को पकड़ा गया है। घर से भागे या फरार लोगों को नोटिस भेजा जा रहा है।
कोतवाली क्षेत्राधिकारी वी पी सिंह ने बताया कि आरोपियों को नोटिस भेजकर संबंधित थाने पहुंचने को कहा गया है और यह भी कहा गया है कि वह गुरुवार तक अपना पक्ष रख दें। यदि वे नहीं आते हैं तो उनकी संपत्तियां जब्त की जाएंगी। जिला प्रशासन की एक टीम ने इस बीच हिंसा प्रभावित रेती, नक्खास और घंटाघर इलाकों का दौरा किया और हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान का जायजा लिया। उधर आने वाले शुक्रवार को जुमे की नमाज के मद्देनजर पुलिस प्रशासन अलर्ट है और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए रिहर्सल भी किया जा रहा है।
सूबे के कई जिलों में भड़की थी हिंसा
सीएए के विरोध में पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें कम से कम 17 लोग मारे गए थे और चल-अचल संपत्ति क्षतिग्रस्त हुई थी। अधिकतर संपत्ति को नुकसान आगजनी में हुआ था। संशोधित नागरिकता कानून और पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के प्रस्तावित क्रियान्वयन के खिलाफ उत्तर प्रदेश के साथ ही देश के कई अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
गौरतलब है कि संशोधित नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना झेलने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, जैन, बौद्धों और पारसियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण ली है। विरोध करने वालों का कहना है कि मुसलमानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।