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09 October 2022

पूजा स्थल अधिनियम 1991 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध, एआईएमपीएलबी ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

प्रतिकात्मक फोटो (ANI)

अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने 1991 के कानून के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। एआईएमपीएलबी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में बताया कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 भारतीय राजनीति के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के अनुरूप एक प्रगतिशील कानून है और विभिन्न वर्गों के बीच सद्भाव, सार्वजनिक शांति और शांति को बढ़ावा देता है। 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ 11 अक्टूबर को 1991 के कानून के कुछ प्रावधानों की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली है।

अधिवक्ता एमआर शमशाद के माध्यम से दायर अपने आवेदन में मुस्लिम निकाय ने तर्क दिया कि अधिनियम लोगों के किसी भी वर्ग के सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है और यह संविधान की मूलभूत विशेषताओं पर आधारित है जिसे संशोधित नहीं किया जा सकता हैं। इसलिए उक्त अधिनियम को निरस्त करने या मूल उद्देश्यों और सिद्धांतों को नष्ट करने का कोई भी प्रयास असंवैधानिक होगा।

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एआईएमपीएलबी ने दावा किया कि इस अधिनियम की कल्पना लोगों के विभिन्न वर्गों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने और सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन को रोकने और सार्वजनिक शांति को बढ़ावा देने के लिए की गई है।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 12 मार्च को वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था, जिसमें कानून के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती दी गई थी। 

1991 का प्रावधान किसी भी पूजा स्थल के धर्मांतरण को प्रतिबंधित करने और पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र में बदलाव करने से रोकता है। अयोध्या में राम मंदिर विवाद को इस प्रावधान से अलग रखा गया था। 

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TAGS: Ram mandir, Ayodhya, Place of Worship Act 1991, Suprime Court, SC, कोर्ट
OUTLOOK 09 October, 2022
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