पचौरी की जमानत तत्काल रद्द नहीं होगी
उच्च न्यायालय ने बुधवार को पचौरी से उनकी अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग करने वाली अपील पर चार सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा है। गौरतलब है कि आर के पचौरी पर उनके दफ्तक में काम करने वाली महिला सहयोगी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है और पचौरी इस मामले में जमानत पर चल रहे हैं। अदालत ने उनके ऊपर प्रतिबंध लगा रखा है कि वह अपने कार्यालय में प्रवेश नहीं कर सकते। टेरी ने इस आदेश को रद्द करने की अपील कर रखी है जबकि पुलिस उनकी जमानत रद्द कराकर उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश में है। पचौरी को उनके कार्यालय में प्रवेश की मंजूरी दी जाए या नहीं इस बात का फैसला करने के लिए अदालत कल यानी गुरुवार को सुनवाई करने वाली है।
पचौरी के वकील ने 29 वर्षीय महिला की याचिका का जवाब देने के लिए और समय मांगा जिसके बाद न्यायमूर्ति एस पी गर्ग ने मामले की सुनवाई को 16 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया। महिला का कहना है कि यदि पचौरी को आजादी से घूमने की अनुमति दे दी जाती है तो मामले की निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच नहीं हो सकती। अदालत ने कहा, उन्हें (पचौरी और दिल्ली पुलिस को) अपना जवाब दायर करने दीजिए, इसके बाद हम इस पर विचार करेंगे। जमानत याचिका को तत्काल रद्द करने का कोई औचित्य नहीं है।
अदालत ने कहा, यह याचिका (पचौरी की जमानत को रद्द करने संबंधी) निचली अदालत की कार्यवाही के रास्ते में नहीं आनी चाहिए। शिकायतकर्ता के वकील प्रशांत मेंदीरत्ता ने अदालत को सूचित किया कि पचौरी ने निचली अदालत के उस आदेश को बदलने की मांग करते हुए भी एक याचिका दायर की है जो उसे ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) परिसर में प्रवेश करने से रोकता है। इसके बाद अदालत ने यह बात कही।