Advertisement
27 December 2019

सीएए के खिलाफ यूपी में प्रदर्शन की संभावना; लखनऊ समेत 21 जिलों में इंटरनेट बंद, सुरक्षा सख्त

नागरिकता संशोधन कानून पर भड़की हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश के कई संवेदनशील जिलों में जुमे की नमाज को लेकर पुलिस प्रशासन अलर्ट है। राजधानी लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ, कानपुर, अलीगढ़ समेत 21 जिलों में अगले 24 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बैन किया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर गाजियाबाद में शुक्रवार रात 10 बजे तक इंटरनेट पर बैन रहेगा। सहारनपुर में भी जुमे की नमाज को लेकर पुलिस प्रशासन एक बार फिर चौकसी बरत रहा है। जबकि लखनऊ में इंटरनेट के साथ-साथ एसएमएस सर्विस को भी बंद कर दिया गया है। संवेदनशील जगहों की निगरानी के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जा रही है। जगह जगह फ्लैगमार्च किया जा रहा है। जिलों के वरिष्ठ अधिकारी मौलानाओं और मुस्लिम संगठनों के नेताओं से मुलाकात कर शांत रहने की अपील कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है, बलों की रणनीतिक तैनाती जारी है। मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित की गई है। सिंह ने कहा कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 3,500 कर्मचारी और यूपी प्रांतीय सशस्त्र सीमा बल (पीएसी) के 12,000 जवान शांति बनाए रखने के लिए काम पर हैं। उन्होंने बताया, “हमने 21 जिलों में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया है, उन्हें स्थिति के अनुसार बहाल किया जाएगा।” यूपी डीजीपी ने कहा,  “हम निर्दोषों को नहीं छू रहे हैं और हम उन लोगों को नहीं छोड़ेंगे जो इसमें (हिंसा) शामिल थे चाहे वह पीएफआई हो या कोई अन्य राजनीतिक दल। और यही कारण है कि हमने कई संगठनों के सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है।”

Advertisement

पुलिस के मुताबिक, अफवाहों पर काबू पाने के मद्देनजर राजधानी लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ, अलीगढ़, सहारनपुर, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर,बिजनौर, शामली, फिरोजाबाद, संभल,मथुरा आगरा, कानपुर और सीतापुर में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है। मेरठ और अलीगढ़ में गुरुवार रात 10 बजे से इंटरनेट बैन का आदेश दिया गया है। जबकि, पश्चिमी यूपी के संवेदनशील मुजफ्फरनगर जिले में 28 दिसंबर तक इंटरनेट बंद रखा गया है। कानपुर में जिला प्रशासन ने गुरुवार रात 9 बजे से शुक्रवार रात 9 बजे तक मोबाइल इंटरनेट बंद रखने का आदेश दिया है। सीतापुर में अगले आदेश तक इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई है। इस बीच पुलिस लोगों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील कर रही है। इसके अलावा अधिकारी पुलिस फोर्स के साथ शहरों में फ्लैग मार्च निकाल रहे हैं।

नुकसान की भरपाई के लिए 498 लोगों की हुई पहचान

राज्य में अभी तक 498 लोगों की पहचान की गई है, जिनपर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। इन सभी को यूपी प्रशासन की तरफ से नोटिस जारी कर दिया गया है।

कई लोगों हुए गिरफ्तार

पिछले शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद 372 से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजा गया है, जो कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में शामिल रहे थे। बता दें कि यूपी में अभी तक 1113 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 5500 से ज़्यादा लोगों हो हिरासत में लेकर पूछताछ की गई है। हिंसक प्रदर्शनों की एसआईटी जांच के निर्देश दिए हैं। डीजीपी ओपी सिंह ने एसआईटी जांच के निर्देश दिए हैं। हर जिले में एडिशनल एसपी स्तर का अधिकारी एसआईटी प्रमुख होगा। जिलों में एडिशनल एसपी क्राईम की अध्यक्षता में एसआईटी बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

सोशल मीडिया की निगरानी

उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर पीवी रमाशास्त्री का कहना है कि जुमे की नमाज को देखते हुए राज्य के अलग-अलग जिलों में सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद किया गया है। शांति व्यवस्था के लिए लोगों से बातचीत की गई है। इसके अलावा कई जिलों में इंटरनेट सेवाओं को प्रतिबंधित किया गया है। एडीजी का कहना है कि सोशल मीडिया पर पोस्ट हो रही सामग्री की भी निगरानी की जा रही है।

हिंसा में 19 लोगों की मौत की पुष्टि

गृह विभाग ने गुरुवार को हिंसा में 19 लोगों की मौत की पुष्टि की है। इसमें 288 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि 61 पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हुए हैं। 327 प्राथमिकी दर्ज की गई और 5,558 निवारक गिरफ्तारियां की गई। हिंसा के आरोप में 1,113 लोगों को को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अधीक्षक  संभल, यमुना प्रसाद ने कहा कि हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए 150 लोगों के पोस्टर जारी किए गए हैं और 55 की पहचान की गई है।

हिंसा के दौरान 647 खोखे, 69 जिंदा कारतूस और 35 देसी तमंचा बरामद किए गए। सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने वाले 124 लोग गिरफ्तार किए गए और 93 एफआईआर दर्ज की गईं। 19409 सोशल मीडिया पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई की गई। 9372 ट्विटर, 9856 फेसबुक और 181 यूट्यूब प्रोफाइल को ब्लॉक किया गया।

क्या है नागरिकता कानून

बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना झेलने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, जैन, बौद्धों और पारसियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण ली है। विरोध करने वालों का कहना है कि मुसलमानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Anti-CAA Protests, Uttar Pradesh, Paramilitary forces, drones, security
OUTLOOK 27 December, 2019
Advertisement