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17 July 2019

आतंकवाद से लड़ने के लिए एनआइए को ज्यादा अधिकार, संशोधन विधेयक को संसद से हरी झंडी

देश के भीतर और विदेश में भारतीय हितों के खिलाफ आतंकी गतिविधियों की जांच के लिए नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) को ज्यादा अधिकार देने वाले एनआइए संशोधन विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिलने के साथ ही संसद से हरी झंडी मिल गई। यह संशोधन विधेयक लोकसभा से सोमवार को पारित हुआ था।
2009 में आंतकी हमले के बाद बनी थी एनआइए
एनआइए एक्ट 2008 में संशोधन किया गया है ताकि राष्ट्रीय स्तर की एक एजेंसी को सूचीबद्ध अपराधों की जांच करने और केस चलाने के अधिकार मिल सके। मुंबई आंतकी हमले के बाद 2009 में एनआइए का गठन किया गया था। इस आतंकी हमले में 166 लोगों की जान गई थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय नई चुनौतियों से निपटने के लिए एनआइए को ज्यादा अधिकार दिलाने का प्रयास कर रहा था।
आतंकवाद से सुरक्षा के लिए मिला जनादेशः शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह कानून आतंकियों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसका इस्तेमाल किसी समुदाय को निशाना बनाने के लिए नहीं होगा। एनआइए कानून के जरिये एक समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने इस कानून का बचाव किया और कहा कि जनता ने देश को आतंकवाद से सुरक्षित करने के लिए सरकार को जनादेश दिया है। एनआइए संशोधन विधेयक 2019 पर बहस के दौरान शाह ने कहा कि आतंकियों और दुनिया को कड़ा संदेश देने के लिए संसद को एक स्वर में बोलना चाहिए।
विदेश में भी जांच कर सकेगी एनआइए
इस विधेयक के पास होने के बाद एनआईए को भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी जांच करने का अधिकार मिल गया है। वह आतंकवाद से जुड़े मामलों के अलावा दूसरे तमाम तरह के अपराधों की जांच कर सकेगी। एनआईए को कई कानूनों में उल्लिखित अपराधों की भी जांच करने का अधिकार मिल जाएगा। एनआईए के पास पुलिस के समान पूरे अधिकार होंगे।
मानव तस्करी और साइबर अपराध भी दायरे में
संशोधन विधेयक में मानव तस्करी, नकली नोट चलाने, प्रतिबंधित हथियारों के निर्माण और बिक्री, एक्सप्लोसिव्स सब्सटेंसेज एक्ट, 1908 के तहत अपराधों और साइबर आतंकवाद से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है। एनआईए एटॉमिक एनर्जी एक्ट, 1962 और अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट, 1967 जैने कानूनों के तहत उल्लिखित अपराधों की जांच कर सकेगी।
विशेष अदालतें भी गठित होंगी
कानून में केंद्र सरकार को विशेष अदालतें गठित करने का भी अधिकार मिलेगा ताकि अनुसूचित अपराधों के मामलों पर केस चलाया जा सके। केंद्र सरकार विशेष अदालत बनाने से पहले उस राज्य के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से सलाह करेगी।

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TAGS: NIA, Parliament, terrorism, Home Ministry
OUTLOOK 17 July, 2019
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