Advertisement
06 October 2015

विधि आयोग का स्‍थायी विधान ठंडे बस्ते में

विधि मंत्रालय में कानूनी मामलों के विभाग ने हाल ही में विधि आयोग को संसदीय कानून या एक आधिकारिक आदेश (केंद्रीय मंत्रिमंडल प्रस्ताव) के जरिये एक स्थायी संस्था बनाने का प्रस्ताव दिया था। विधि आयोग जटिल कानूनी मुद्दों पर सरकार को सलाह देता है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय को लगा कि मौजूदा प्रणाली लागू रहनी चाहिए। इसके बाद प्रस्ताव को टालने का यह कदम उठाया गया।

मौजूदा व्यवस्था के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल हर तीन साल पर आयोग का पुनर्गठन करता है। आयोग के पुनर्गठन के बाद आयोग चलाने के लिए एक नया अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त किए जाते हैं। केंद्रीय मंत्रिामंडल ने पिछले माह संस्था के पुनर्गठन को मंजूरी दी थी। मंत्रिमंडल की मंजूरी के साथ, कानून मंत्रालय अब 21वें विधि आयोग का गठन करेगा। 20वें आयोग का तीन वर्षीय कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हो गया था। कानून मंत्रालय आयोग के अध्यक्ष के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के नामों के चयन की प्रक्रिया में है। इन नामों में कुछ नाम उच्च न्यायालय के उन मुख्य न्यायाधीशों के भी हो सकते हैं, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं।

आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश करते हैं। पहले आयोग का गठन वर्ष 1955 में हुआ था। मंत्रिमंडल के फैसले पर जारी बयान में कहा गया था कि विभिन्न विधि आयोग देश के कानूनों को कूटबद्ध करने में और प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम रहे है। विधि आयोगों ने अब तक 262 रिपोर्ट सौंपी हैं।

Advertisement

विधि एवं कार्मिक मामलों पर बनी संसद की स्थायी समिति के समक्ष विधि सचिव पी के मल्होत्रा ने कहा था, चूंकि विधि आयोग वर्ष 1959 के बाद से सतत रूप से काम कर रहा है और हर तीन साल में इसका पुनर्गठन किया जाता है, इसलिए इसे आधिकारिक आदेश या संसद के कानून के जरिये एक स्थायी संस्था बनाने का सुझाव दिया जाता है। यदि विधि पैनल को संसद के कानून के जरिये स्थायी संस्था बना दिया जाता है तो यह एक वैधानिक संस्था बन जाएगी। यदि इसे कार्यकारी आदेश के जरिये स्थायी संस्था बनाया जाता है तो यह प्राचीन योजना आयोग या इसके नए अवतार नीति आयोग की तर्ज पर होगी। दोनों का ही गठन केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकार किए गए प्रस्ताव के आधार पर हुआ था।

 वर्ष 2010 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने विधि आयोग को वैधानिक दर्जा देने के लिए कैबिनेट नोट का मसविदा तैयार किया था। विधि मंत्रालय ने भारतीय विधि आयोग विधेयक 2010 लाने के लिए विचार किया था, लेकिन इस विचार को टाल दिया गया था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Law Commission, cabinet proposal, supreme court, पी के मल्होत्रा, योजना आयोग, नीति आयोग
OUTLOOK 06 October, 2015
Advertisement