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15 December 2021

मैरिटल रेप जनहित याचिका: गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्र को नोटिस जारी किया, जानें पूरा मामला

गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अब इस पर विचार करने का वक्त आ गया है कि क्या वैवाहिक बलात्कार को दी गई छूट ‘‘स्पष्टत: मनमानी’’ है और उसने इस तरह की छूट की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर राज्य एवं केंद्र सरकारों को नोटिस जारी किए।


न्यायालय ने इस नोटिस का जवाब 19 जनवरी तक देने को कहा है। कोर्ट ने कहा, ‘‘अब वक्त आ गया है कि कोई रिट अदालत इस बात पर विचार करने की कवायद करे कि क्या भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद -दो को साफ तौर से मनमाना करार दिया जा सकता है और क्या यह एक महिला के यौन स्वायत्तता के मौलिक अधिकार को उसके पति की मर्जी के अधीन बनाता है।’’

बता दें कि भारतीय दंड संहता की धारा 375 (बलात्कार) के अपवाद -दो में प्रावधान है कि एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ बनाए गए शारीरिक संबंध 'बलात्कार' नहीं हैं, भले ही उसने इसके लिए अपनी पत्नी को उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसकी सहमति के बिना मजबूर किया हो। लिहाजा, पति को बलात्कार के लिए दंडित नहीं किया जा सकता।

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याचिकाकर्ता जयदीप वर्मा ने इसकी संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी कि यह ‘‘मनमाना, अनुचित, असंवैधानिक, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 का उल्लंघन, भारत के संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त मानवाधिकारों का उल्लंघन और संवैधानिक नैतिकता और सिद्धांतों का उल्लंघन’’ है।

उन्होंने दलील दी कि यह अपवाद एक महिला को जबरन शारीरिक संबंध बनाने के विरुद्ध कानून द्वारा दी गई सुरक्षा को वापस ले लेता है। याचिका में कहा गया है, ‘‘अपवाद-दो महिला के यौन स्वायत्तता के मौलिक अधिकार को उसके पति की मर्जी के अधीन बना देता है।’’



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TAGS: वैवाहिक बलात्कार, गुजरात हाईकोर्ट, मैरिटल रेप, जनहित याचिका, PIL on marital rape, Gujarat High Court
OUTLOOK 15 December, 2021
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