एक साल तक राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-सांसदों के वेतन में 30% की कटौती, एमपीलैड फंड भी निलंबित
कटौती सिर्फ वेतन में, भत्ते और पेंशन में नहीं
इस वेतन कटौती के लिए कैबिनेट ने सोमवार को वेतन भत्ते और पेंशन से संबंधित 1954 के कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी। इस संशोधन के लिए अध्यादेश लाया जाएगा। जावडेकर ने कहा कि यह कटौती 1 अप्रैल 2020 से 1 साल के लिए लागू होगी। बाद में सरकार ने स्पष्ट किया कि सिर्फ वेतन में कटौती होगी, सांसदों के भत्ते या पूर्व सांसदों की पेंशन में कटौती नहीं की जाएगी।
कंसोलिडेटेड फंड में जमा होगी रकम
प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों का वेतन ढांचा सांसदों से अलग होता है। सांसदों को प्रतिमाह एक लाख रुपए वेतन के अलावा भत्ते और 70,000 रुपए संसदीय क्षेत्र भत्ता के रूप में मिलता है। वेतन में कटौती की रकम कंसोलिडेटेड फंड ऑफ़ इंडिया में जमा होगी। सरकार को डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स और अन्य प्राप्तियों के रूप में जो भी रकम मिलती है वह कंसोलिडेटेड फंड में ही जमा होती है। सरकार के खर्चे भी इसी फंड से होते हैं। इस फंड से रकम निकालने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी होती है।
एमपीलैड फंड 2 साल के लिए नहीं मिलेगा
एक अन्य फैसले में कैबिनेट ने सांसदों को मिलने वाले लोकल एरिया डेवलपमेंट (एमपीलैड) फंड को भी 2 साल के लिए स्थगित कर दिया है। यानी वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में सांसदों को यह फंड नहीं मिलेगा। इसका इस्तेमाल भी कोविड-19 महामारी से लड़ने में किया जाएगा। लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सांसद हैं। इन्हें प्रति वर्ष एमपीलैड फंड के रूप में 5 करोड़ रुपए मिलते हैं। यानी 2 साल के लिए सांसदों को यह रकम नहीं मिलने पर सरकार के 7,880 करोड़ रुपए बचेंगे।
कांग्रेस ने किया सांसदों के वेतन में कटौती का स्वागत
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा मुश्किल समय में यह जरूरी है कि हम अपने नागरिकों की मदद करें। सांसद होने के नाते मैं सांसदों के वेतन में कटौती के सरकार के फैसले का स्वागत करता हूं।