भारत के विकास के लिए स्वतंत्रता आंदोलन जैसे आंदोलन की जरूरत : प्रधानमंत्री
वीडियो लिंक के जरिए इंडिया टुडे कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, स्वतंत्रता आंदोलन की तरह ही हमें विकास के लिए एक आंदोलन की जरूरत है, जिसमें सामूहिक आकांक्षाएं देश की वृद्धि को प्रेरित करें।
प्रधानमंत्री ने कहा, हम सभी को एक नए भारत के अपने सपने से जुड़ जाना चाहिए, जिसका मंत्र होगा सभी के लिए अवसर और भारत का आत्मसम्मान।
मोदी ने कहा, कई दशकों तक हम गलत नीतियों के साथ गलत दिशा में आगे बढ़े। उस वक्त फैसले चुनाव देख कर लिए जाते थे या अधिकारियों की तय धारणा पर आधारित होते थे, लेकिन अब यह बदल गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार देश के सामने मौजूद मुद्दों पर संकीर्ण मानसिकता से नहीं बल्कि व्यापक मानसिकता से गौर कर रही है।
इंडिया टुडे के प्रधान संपादक अरूण पुरी की ओर से मोदी को डिस्रप्टर-इन-चीफ करार दिए जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा, यदि कोई डिस्रप्टर-इन-चीफ है तो वह मोदी नहीं बल्कि भारत की जनता है, जो इस नाम की हकदार है।
प्रधानमंत्री ने कहा, नए भारत में उपकार की बातें नहीं होती, अवसर की बातें होती हैं। इसमें सभी के लिए अवसर की बातें होती हैं।
उन्होंने कहा, लोग देश में बुरी चीजों को खत्म करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। इससे नए भारत की आधारशिला मजबूत होगी।
अपनी सरकार की कुछ नीतियों पर आशंकाएं दूर करने की कोशिश करते हुए मोदी ने कहा, यह व्यवस्था को बर्बाद करने की विचारधारा नहीं है। यह काया-कल्प करने की विचारधारा है। मोदी ने कहा, हमने कार्य संस्कृति बदल दी है और अब दक्षता बढ़ाने के लिए प्रक्रियाओं को दुरूस्त करने पर जोर है। उन्होंने कहा, हमने समयबद्ध क्रियान्वयन और समेकित सोच पर ध्यान दिया है। हमारी प्रक्रियाएं नागरिक हितैषी हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, जिस तरह जीएसटी हासिल किया गया, वह जीएसटी जितना ही अहम है। राज्यों ने इसकी जिम्मेदारी ली है। हम सहकारी संघवाद में विश्वास रखते हैं। जीएसटी की प्रक्रिया ने दिखाया कि विमर्श से चलने वाला लोकतंत्र क्या होता है।
उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था बदल रही है और विनिर्माण क्षेत्र में तेजी आ रही है। पिछले 20 साल में प्रौद्योगिकी में जबर्दस्त बदलाव हुए हैं। इस युग में युवाओं की आकांक्षाओं का ख्याल रखा जाना जरूरी है। भाषा