आतंकी ताकतों को शरण देने वालों के खिलाफ दृढ़ कार्रवाई की जरूरत : मोदी
हार्ट आॅफ एशिया के छठे सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि आतंकी हिंसा का बढ़ता दायरा इस क्षेत्र के लिए गंंभीर खतरा पैदा कर रहा है। हाॅर्ट आॅफ एशिया अफगानिस्तान में बदलाव में मदद के मकसद से स्थापित मंच है।
उन्होंने कहा, आतंकवाद और बाहर से प्रोत्साहित अस्थिरता ने अफगानिस्तान की शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है। आतंकी हिंसा के बढ़ते दायरे ने हमारे पूरे क्षेत्र को खतरे में डाला है। अफगानिस्तान में शांति की आवाज का सिर्फ समर्थन करना ही पर्याप्त नहीं है।
प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा, इसके साथ ही दृढ़ कार्रवाई होनी चाहिए। यह कार्रवाई सिर्फ आतंकवादी ताकतों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि इनका सहयोग, शरण, प्रशिक्षण और वित्तीय मदद देने वालों के विरूद्ध भी होनी चाहिए।
पीएम मोदी वार्षिक मंंत्रीस्तरीय सम्मेलन का अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ संयुक्त रूप से उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे। इस सम्मेलन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज सहित करीब 30 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
मोदी ने कहा, अफगानिस्तान एवं हमारे क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ चुप्पी और निष्क्रियता से सिर्फ आतंकवादियों और उनके आकाओं का हौसला बढ़ेगा। इसके साथ ही अफगानिस्तान के विकास और मानवीय जरूरतों को लेकर भौतिक सहयोग के लिए हमारी द्विपक्षीय और क्षेत्राीय प्रतिबद्धताएं जारी रहनी चाहिए और बढ़नी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रक्तपात और डर पैदा करने वाले आतंकी नेटवर्क को पराजित करने के लिए ठोस और सामूहिक इच्छाशक्ति दिखाने की जरूरत है।
अफगानिस्तान में बदलाव को लेकर भारत की ठोस प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा, अफगान भाइयों एवं बहनों को लेकर हमारी प्रतिबद्धता संपूर्ण और अटूट है। अफगानिस्तान एवं वहां की जनता की भलाई हमारे दिल और दिमाग के बहुत करीब है। उन्होंने अफगान-नीत, अफगानिस्तान के स्वामित्व वाली और अफगानिस्तान के नियंत्रण वाली शांति प्रक्रिया के माध्यम से देश में स्थिरता लाने का आहवान किया।
अफगानिस्तान में स्थायी शांति और स्थायी राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए सतत एवं गंभीर वैश्विक प्रयासों का आहवान करते हुए मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान की सीमा और उसके नागरिकों को बाहरी खतरों से सुरक्षित रखना हमारे समय के महत्वपूर्ण अधूरे मिशन का एक प्रमुख हिस्सा होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, हमें चुनौती के स्तर को लेकर कोई संदेह नहींं है। लेकिन हम सफल होने के लिए भी समान रूप से प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि इसको लेकर तात्कालिता दिखाने की जरूरात है कि और अधिक क्या किया जा सकता है तथा अफगानिस्तान में किस चीज से बचा जा सकता है ताकि अफगान नागरिक स्वत: बरकार रखने वाली शांति और आर्थिक प्रगति हासिल कर सकें। मोदी ने कहा, सवाल संंकल्प और कार्रवाई का है। यह अफगानिस्तान और उसके लोगों को सबसे आगे रखने का भी सवाल है। इसके लिए, सबसे पहले अफगान-नीत, अफगानिस्तान के स्वामित्व वाली और अफगानिस्तान के नियंत्रण वाली प्रक्रिया प्रमुख है। यह समाधान के स्थायित्व का एकमात्र गारंटर है।
उन्होंने कहा, दूसरी बात, हमें रक्तपात और भय पैदा करने वाले आतंकी नेटवर्क को पराजित करने के लिए ठोस सामूहिक इच्छाशक्ति दिखाने की जरूरत है। अफगानिस्तान में बदलाव की प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों के पिछले 15 वर्षों की उपलब्धियों के आधार पर आगे बढ़ने का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि जो चीज दांव पर लगी है वो सिर्फ अफगानिस्तान का भविष्य नहीं है बल्कि पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता दांव पर है। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान ने विकास, लोकतंत्र और बहुलवाद के दृष्टिकोण को लेकर निवेश किया है।
अफगानिस्तान और इस क्षेत्र के अन्य देशों के बीच संपर्क को सुधारने की पैरवी करते हुए मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान हमारे नेटवर्क का केंद्रबिंदु होना चाहिए। उन्होंने कहा, अपनी ओर से, हम अफगानिस्तान को दक्षिण एशिया एवं मध्य एशिया के बीच संपर्कों को मजबूती प्रदान करने के केंद्र के तौर पर देखते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, हम इससे इंकार नहीं कर सकते हैं कि व्यापार, पूंजी और बाजार के क्षेत्रीय माध्यमों के साथ अफगानिस्तान जितना अधिक जुड़ा होगा, उतना अधिक आर्थिक विकास एवं प्रगति की संभावना बढ़ेगी। राष्ट्रपति गनी और मैं इस क्षेत्र में अन्य साझेदारों के साथ व्यापार एवं परिवहन संपर्कों को मजबूती प्रदान की प्राथमिकता पर एक हैं।
अमृतसर में हार्ट आॅफ एशिया सम्मेलन की मेजबानी के महत्व का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि क्षेत्र के जरिए व्यापार, लोगों और विचारों के प्रवाह का इस पवित्र शहर में मिलन होता है। मोदी ने अमृतसर को शांति एवं मानवतावाद का अवतार तथा वीरता और बलिदान का प्रतीक करार देते हुए कहा, अमृतसर उस संपर्क को बहाल करने के महत्व की पुष्टि करता है जो अफगानिस्तान की संपूर्ण प्रगति, स्थिरता और आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान के साथ अमृतसर के संपर्क का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बाबा गुरूनानक देव के सबसे पहले शिष्य अफगान थे और काबुल में 15वीं सदी में उन्होंने उपदेश दिया था। भाषा एजेंसी