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30 September 2018

मन की बात में मोदी बोले- शांति में भरोसा, लेकिन अब दुश्मनों को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

मन की बात की 48वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  देशवासियों को संबोधित किया। सर्जिकल स्ट्राइक के दो साल पूरे होने पर मोदी ने सेना की सराहना की। उन्होंने कहा कि सवा सौ करोड़ देशवासियों ने सैनिकों के पराक्रम का पर्व मनाया। अब तय हो चुका है कि हमारे सैनिक उन सबको मुंहतोड़ जवाब देंगे जो देश में शांति और उन्नति के माहौल को नष्ट करने की कोशिश करेंगे।

बिंदुओ में जानिए पीएम ने क्या तहा-

-शायद ही कोई भारतीय हो सकता है जिसको हमारे सशस्त्र बलों पर, हमारे सेना के जवानों पर गर्व न हो। प्रत्येक भारतीय चाहे वो किसी भी क्षेत्र, जाति, धर्म, पंथ या भाषा का क्यों न हो - हमारे सैनिकों के प्रति अपनी खुशी अभिव्यक्त करने और समर्थन दिखाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।

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-कल भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने, पराक्रम पर्व मनाया था। हमने 2016 में हुई उस सर्जिकल स्ट्राइक को याद किया जब हमारे सैनिकों ने हमारे राष्ट्र पर आतंकवाद की आड़ में  प्रॉक्सी वार की धृष्टता करने वालों को मुँहतोड़ ज़वाब दिया था। देश में अलग-अलग स्थानों पर हमारे सशस्त्र बलों ने प्रदर्शनी लगाये ताकि अधिक से अधिक देश के नागरिक खासकर युवा-पीढ़ी यह जान सके कि हमारी ताक़त क्या है। हम कितने सक्षम हैं और कैसे हमारे सैनिक अपनी जान जोखिम में डालकर के हम देशवासियों की रक्षा करते हैं।

-अब यह तय हो चुका है कि हमारे सैनिक उन सबको मुंहतोड़ ज़वाब देंगे जो हमारे राष्ट्र में शांति और उन्नति के माहौल को नष्ट करने का प्रयास करेंगे। हम शांति में विश्वास करते हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सम्मान से समझौता करके और राष्ट्र की सम्प्रभुता की कीमत पर कतई नहीं। भारत सदा ही शांति के प्रति वचनबद्ध और समर्पित रहा है।

-आसमान की बातें तो निराली होती ही हैं इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि आसमान में अपनी शक्ति का परिचय देकर के भारतीय वायुसेना ने हर देशवासी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। 1947 में जब पाकिस्तान के हमलावरों ने एक अप्रत्याशित हमला शुरू किया तो यह वायुसेना ही थी जिसने श्रीनगर को हमलावरों से बचाने के लिए ये सुनिश्चित किया कि भारतीय सैनिक और उपकरण युद्ध के मैदान तक समय पर पहुँच जाएँ। वायुसेना ने 1965 में भी दुश्मनों को मुँहतोड़ ज़वाब दिया। 1971 मेंबांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई कौन नहीं जानता है । 1999 करगिल की घुसपैठियों के कब्ज़े से मुक्त कराने में भी वायुसेना की भूमिका अहम रही है।

-देश में स्त्री और पुरुष की समानता सुनिश्चित करने में  Air Force ने मिसाल कायम की है और अपने प्रत्येक विभाग के द्वार देश की बेटियों के लिए खोल दिए हैं। अब तो वायुसेना महिलाओं को short service commission के साथ permanent commission का विकल्प भी दे रही है और जिसकी घोषणा इसी साल 15 अगस्त को मैंने लाल किले से की थी। भारत गर्व से कह सकता है कि भारत की सेना में सशस्त्र बलों में पुरुष शक्ति ही नहीं, स्त्री-शक्ति का भी उतना योगदान बनता जा रहा है। नारी सशक्त तो है, अब सशस्त्र भी बन रही है।

-मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले दिनों नेवी  के हमारे एक अधिकारी अभिलाष टोमी वो अपने जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे थे। पूरा देश चिंतित था कि टोमी को कैसे बचा लिया जाए। आपको पता है अभिलाष टोमी एक बहुत साहसी-वीर अधिकारी हैं। वे अकेले कोई भी आधुनिक तकनीक बिना की एक छोटी सी नाव ले करके, विश्व भ्रमण करने वाले पहले भारतीय थे। पिछले 80 दिनों से, वे दक्षिण हिन्द महासागर में Golden Globe Race में भाग लेने समुंदर में अपनी गति को बनाये रखते हुए आगे बढ़ रहे थे लेकिन भयानक समुद्री तूफ़ान ने उनके लिए मुसीबत पैदा की लेकिन भारत के नौसेना का ये वीर समुंदर के बीच अनेक दिनों तक जूझता रहा, जंग करता रहा। वो पानी में बिना खाये-पिये लड़ता रहा। जिन्दगी से हार नहीं मानी। साहस, संकल्पशक्ति, पराक्रम एक अद्भुत मिसाल - कुछ दिन पहले मैंने जब अभिलाष को समुंदर से बचा करके बाहर ले आये तो टेलीफोन पर बात की। पहले भी टोमी से मैं मिल चुका था। इतने संकट से बाहर आने के बाद भी उनका जो ज़ज्बा था, उनका जो हौसला था और फिर एक बार ऐसा ही कुछ पराक्रम करने का जो संकल्प उन्होंने मुझे बताया देश की युवा-पीढ़ी के लिए वो प्रेरणा है।

-अब से 2 साल के लिए हम महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती के निमित्त विश्वभर में अनेक विविध कार्यक्रम करने वाले हैं। महात्मा गाँधी के विचार ने पूरी दुनिया को प्रेरित किया है। Dr. Martin Luther King Junior हों या नेल्सन मंडेला जैसी महान विभूतियाँ, हर किसी ने गाँधी जी के विचारों से शक्ति पाई और अपने लोगों को समानता और सम्मान का हक दिलाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़ सके।   

-मेरे प्यारे देशवासियो, जब गाँधी जी ने कहा था कि सफाई करोगे तो स्वतंत्रता मिलेगी। शायद उनको मालूम भी नहीं होगा ये कैसे होगा - पर ये हुआ, भारत को स्वतंत्रता मिली। इसी तरह आज हम को लग सकता है कि मेरे इस छोटे से कार्य से भी मेरे देश की आर्थिक उन्नति में, आर्थिक सशक्तिकरण में, ग़रीब को ग़रीबी के खिलाफ़ लड़ाई लड़ने की ताक़त देने में मेरा बहुत बड़ा योगदान हो सकता है और मैं समझता हूँ कि आज के युग की यही सच्ची देशभक्ति है, यही पूज्य बापू को कार्यांजलि है।

-लाल बहादुर शास्त्री जी की ये विशेषता थी कि बाहर से वे अत्यधिक विनम्र दिखते थे परन्तु भीतर से चट्टान की तरह दृढ़ निश्चयी थे। ‘जय जवान जय किसान’ का उनका नारा उनके इसी विराट व्यक्तित्व की पहचान है। राष्ट्र के प्रति उनकी निस्वार्थ तपस्या का ही प्रतिफल था कि लगभग डेढ़ वर्ष के संक्षिप्त कार्यकाल में, वे देश के जवानों और किसानों को सफलता के शिखर पर पहुँचने का मन्त्र दे गए।

-मेरे प्यारे देशवासियो, ‘स्वच्छ भारत मिशन’ केवल देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक सफ़ल कहानी बन चुका है जिसके बारे में हर कोई बात कर रहा है।इस बार भारत इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सम्मेलन आयोजित कर रहा है। ‘महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन’ यानी ‘Mahatma Gandhi International Sanitation Convention’ दुनिया भर के Sanitation Ministers और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ एक साथ आकर स्वच्छता से जुड़े अपने प्रयोग और अनुभव साझा कर रहे हैं।‘Mahatma Gandhi International Sanitation Convention’ का समापन 2 अक्तूबर 2018 को बापू के 150वीं जयंती समारोह के शुभारम्भ के साथ होगा।

-संस्कृत की एक उक्ति है ‘न्यायमूलं स्वराज्यं स्यात्’ अर्थात् स्वराज के मूल में न्याय होता है जब न्याय की चर्चा होती है, तो मानव अधिकार का भाव उसमें पूरी तरह से समाहित रहता है। शोषित, पीड़ित और वंचित जनों की स्वतन्त्रता, शांति और उन्हें न्याय सुनिश्चित कराने के लिए - ये विशेष रूप से अनिवार्य है। डॉ० बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा दिए गए संविधान में ग़रीबों के मूल अधिकारों की रक्षा के लिए कई प्रावधान किये गए हैं। उन्हीं के विजन (vision) से प्रेरित होकर 12 अक्तूबर 1993 को ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’ यानी ‘National Human Rights Commission’ (NHRC)  का गठन किया गया था। कुछ ही दिनों बाद NHRC के 25 वर्ष पूरे होने वाले हैं,NHRC ने न सिर्फ़ मानव अधिकारों की रक्षा की बल्कि मानवीय गरिमा को भी बढ़ाने का काम किया है।

-अक्तूबर महीना हो, जय प्रकाश नारायण जी की जन्म-जयन्ती हो, राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की जन्म शताब्दी वर्ष का प्रारंभ होता हो - ये सभी महापुरुष हम सब को प्रेरणा देते रहे हैं उनको हम नमन करते हैं और 31 अक्तूबर सरदार साहब की जयंती है, मैं अगली ‘मन की बात’ में विस्तार से बात करूँगा लेकिन आज मैं जरुर इसलिए उल्लेख करना चाहता हूँ कि कुछ वर्षों से सरदार साहब की जन्म-जयंती पर 31 अक्तूबर को ‘Run for Unity’हिन्दुस्तान के हर छोटे-मोटे शहर में, कस्बों में, गाँवों में ‘एकता के लिए दौड़’ इसका आयोजन होता है। इस वर्ष भी हम प्रयत्नपूर्वक अपने गाँव में, कस्बे में, शहर में, महानगर में इसे आयोजित करें।

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OUTLOOK 30 September, 2018
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