आजादी में चौरी-चौरा कांड क्यों है खास, यूपी में पहली बार शताब्दी समारोह का आयोजन, पीएम करेंगे उद्धाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में चौरी-चौरा शताब्दी समारोह का उद्घाटन करेंगे। चौरी-चौरा शताब्दी समारोह को मनाने का फैसला उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिया गया है। आज से 100 साल पहले इसी दिन चौरी-चौरा की घटना हुई थी, जो आजादी की लड़ाई की ऐतिहासिक घटनाओं में से एक है। इस दौरान पीएम के संग यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद होंगे।
आज उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में विभिन्न समारोह का आयोजन किया जाएगा। दरअसल चौरी-चौरा गोरखपुर का एक गांव है। जो आजादी के आंदोलन के दौरान ब्रिटश पुलिस और स्वतंत्रता सेनानियों के बीच हुई हिंसक घटनाओं के कारण सामने आया था।
चौरी-चौरा का इतिहास
वर्ष 1919 में असहयोग आन्दोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने गोरखपुर में स्थित बाले मियां के मैदान में एक जन सैलाब को संबोधित किया था, जिसके बाद उनसे प्रभावित होकर मुंशी प्रेमचन्द अपनी लेखनी से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने का प्रमाण दिया तो यहां के फिराक गोरखपुरी आईसीएस से त्याग पत्र देकर गांधी जी के नेतृत्त्व में इस आन्दोलन में कूद पडे़ थे। 21 जनवरी 1919 को चौरी-चौरा में साप्ताहिक बाजार लगा तो थानेदार ने लोगों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
इस घटना के विरोध में पूरे क्षेत्र में लोग उग्र हो गए और चार फरवरी 1922 को चौरी-चौरा थाने में आग लगा दी गई। इस घटना में 30 पुलिस कर्मियों सहित कई लोग मारे गए और फिर अंग्रेज सरकार ने 232 लोगों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई के बाद 172 लोगों को मृत्युदंड दिया, लेकिन पंडित मदन मोहन मालवीय और जवाहर लाल नेहरू द्वारा की गई कानूनी पैरवी के बाद सजा पाने वालों की संख्या 38 हो गई। जिसमें 14 लोगों को आजीवन कारावास और 19 लोगों को मृत्यु दंड दिया गया।
आजादी मिलने के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयासों से इस बड़ी शहादत को याद करने के लिए यह आयोजन हो रहा है। जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के वह सभी जिले और स्थान शामिल किए जा रहे हैं जो स्वतंत्रता संग्राम से जुडे़ रहे हैं।