पोक्सो कोर्ट ने आरोपी को किया बरी, कहा- यौन इरादे के बिना बच्ची के गाल छूना अपराध नहीं
पोक्सो की एक विशेष अदालत मंगलवार को 28 साल के एक टेक्नीशियन को बरी कर दिया, जिस पर पांच साल की बच्ची से छेड़छाड़ का आरोप था। घटना 2017 की है, जब आरोपी एक टूटे हुए फ्रिज को ठीक करने के बहाने पीड़िता के घर गया था। अदालत ने कहा कि किसी भी यौन इरादे के बिना बच्चे के गाल को छूना अपराध नहीं है।
घटना को याद करते हुए मां ने दावा किया कि टूटे हुए रेफ्रिजरेटर को ठीक करने के लिए टेक्नीशियन दोपहर में उनके घर आया था। आरोपी ने गड़बड़ी का पता लगाया और कुछ सामान लेने बाहर चला गया। जब वह घर लौटा तो उसने महिला की पांच वर्षीय बेटी के गाल को छूने लगा। इस पर मां ने आपत्ति जताई और उसे कपड़े धोने की मशीन में खराबी ठीक करने के लिए छोड़कर किचन में चली गई।
बाद में जब वह किचन में काम कर रही थी, तभी आरोपी ने उसे पीछे से आकर गले लगा लिया। महिला घबरा गई और उसे दूर धकेल दिया, लेकिन वह नहीं रुका। उसके बाद उसने सुपरवाईजर को फोन किया। बाद में पुलिस आई और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि आरोपी को जल्द ही जमानत दे दी गई।
मॉ से छेड़छाड़ के मामले में टेक्नीशियन को दोषी ठहराते हुए, कोर्ट ने उसे एक साल की जेल की सजा सुनाई। वहीं बच्चे से छेड़छाड़ करने के आरोपों पर अदालत ने उसे यह कहते हुए बरी कर दिया कि बच्चे के गाल को छूना कोई अपराध नहीं था।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने बॉम्बे हाईकोर्ट उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें कहा गया था कि किसी नाबालिग लड़की के सीने पर कपड़ों के ऊपर से हाथ लगने को पॉक्सो एक्ट के तहत यौन हमला नहीं माना जा सकता है। यौन हमले के लिए यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है।
बाल यौन शोषण के मामलों से निपटने के लिए सरकार द्वार एक विशेष कानून, अर्थात यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, 2012 लाया गया। यह अधिनियम नवंबर 2012 से प्रभावी हो गया।