चिंतक, कवि कैलाश वाजपेयी का निधन
प्रसिद्ध चिंतक कैलाश वाजपेयी का जाना साहित्य जगत की बड़ी क्षति है। उनकी रचनाएं पाठकों को अलग संसार में ले जाती हैं। भारतीय संस्कृति के इस मर्मज्ञ के दुनिया से विदा हो जाने के बाद यह स्थान रिक्त रहेगा। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी और अध्यापन से अपना करिअर की शुरुआत की थी। कई विदेशी विश्वविद्यालय के साथ-साथ उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में भी अध्यापन कार्य किया। उनकी ख्याति भारतीय संस्कृति के जानकार और कवि के रूप में थी।
उनकी प्रमुख कृतियों में संक्रांत, देहात से हटकर, तीसरा अंधेरा, सूफीनामा, भविष्य घट रहा है, हवा में हस्ताक्षर, शब्द संसार आदि शामिल हैं। उन्होंने दिल्ली दूरदर्शन के लिए कबीर, सूरदास, जे कृष्णमूर्ति, रामकृष्ण परमहंस के जीवन पर फिल्में भी बनाई थीं। वह लंबे समय तक दूरदर्शन की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे। साहित्य अकादमी सम्मान के साथ उन्हें हिंदी अकादमी सम्मान, व्यास सम्मान से भी नवाजा गया था। स्वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित नाटक युवा संन्यासी उनका प्रसिद्ध नाटक है।