तीन तलाक पर अध्यादेश को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी
तीन तलाक पर केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार देर रात इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
केंद्र सरकार के पास अब इस बिल को 6 महीने में पास कराना होगा। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी। यह अध्यादेश अब 6 महीने तक लागू रहेगा। बता दें कि लोकसभा से पारित होने के बाद यह बिल राज्यसभा में अटक गया था। कांग्रेस ने संसद में कहा था कि इस बिल के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया जाना चाहिए।
बता देंं कि केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को तीन तलाक (इंस्टेंट ट्रिपल तलाक) को दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश को पारित कर दिया। तीन तलाक बिल पिछले दो सत्रों से राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था। ये अध्यादेश छह महीने तक लागू रहेगा जिसके बाद सरकार को दोबारा इसे बिल के तौर पर पास करवाने के लिए संसद में पेश करना होगा।
अध्यादेश में मुस्लिम वीमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट की तरह ही प्रावधान होंगे। इस बिल को पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में पारित कर दिया गया था लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास कम संख्याबल के चलते इस बिल पर बहस नहीं हो पाई थी। बेशक मोदी कैबिनेट ने अध्यादेश पास कर दिया है लेकिन इसे संसद में पास कराना सरकार के लिए जरूरी होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2017 में इस तरह की प्रैक्टिस पर कहा था कि अध्यादेश लाने की शक्ति कानून बनाने के लिए समांतर ताकत नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि किसी बिल के पास नहीं होने पर उसके लिए अध्यादेश लाना संविधान के साथ धोखाधड़ी है और इसलिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।
कांग्रेस ने बताया राजनीतिक मुद्दा
वहीं, कैबिनेट के इस फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'मोदी सरकार इसे मुस्लिमों के लिए न्याय का मुद्दा बनाने के बजाए राजनीतिक मुद्दा बना रही है। सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा तीन तलाक बिल को फुटबॉल बनाना चाहती है। मोदी सरकार सही मायने में नहीं चाहती है मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिले। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी।
वोट बैंक के लिए रोका बिलः रविशंकर प्रसाद
केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर तीन तलाक बिल को संसद से पास नहीं होने देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वोटबैंक की राजनीति के कारण राज्यसभा से इस बिल को पास नहीं होने दिया। मैंने इसे पास कराने के लिए राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलामनबी आजाद से पांच बार आग्रह किया लेकिन उन्होंने ऊपर से बात करने की बात कहकर इसे टाल दिया। फिर कांग्रेस ने कहा कि इस पर बाकी पार्टियों की भी राय ली जाए।
बिल में किए गए हैं संशोधन
मूल बिल को लोकसभा द्वारा पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है और यह राज्यसभा में लंबित है। केंद्रीय कैबिनेट ने मुस्लिम वीमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज बिल 2017 में कुछ संशोधनों को मंजूरी दी थी। इस कदम के जरिए कैबिनेट ने उन चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया था जिसमें तीन तलाक की परंपरा को अवैध घोषित करने तथा पति को तीन साल तक की सजा देने वाले प्रस्तावित कानून के दुरुपयोग की बात कही जा रही थी।
संशोधित बिल में ये हैं खास
- ट्रायल से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट दे सकता है आरोपी को जमानत
- पीड़िता, परिजन और खून के रिश्तेदार ही एफआईआर दर्ज करा सकते हैं
- मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा
- एक बार में तीन तलाक बिल की पीड़ित महिला मुआवजे की हकदार