ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर ऑक्सीमीटर सहित आवश्यक सामानों की हो रही कालाबाजारी, शिकंजा कसने में विफल सरकार
देश भर में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जो आमतौर पर 50 से 60 हजार रुपये तक मिलता है उसे 1.5 लाख रुपये में बेचा जा रहा है। यह एक ऐसा उपकरण है जो पर्यावरण से ऑक्सीजन लेकर सांस की बीमारी से पीड़िता मरीज तक पहुंचाता है। यह उन कोविड मरीजों के लिए जीवन रक्षक उपकरण है जिनका लेवल ऑक्सीजन 80 मिली एचजी से नीचे है। हालही में इस ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की मांग बहुत बढ़ गई है। वहीं, शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को मापने वाला ऑक्सीमीटर भी अधिकांश मेडिकल स्टोरों में स्टॉक से बाहर है। जिनके पास यह स्टॉक में है वे इसे 1800 से 3000 रुपये तक बेच रहे हैं। जो मशीन के एमआरपी रेट से लगभग तीन-चार गुना अधिक है।
इसके साथ ही देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे कोविड-19 संक्रमण के साथ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की मांग, अवैध जमाखोरी, कालाबाजारी और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों के बढ़े हुए दाम नया नियम बन गया है।
अस्पतालों में बेड फुल होने से ऑक्सीजन सिलेंडर भी महंगे दामों पर बिक रहे हैं। एक नए सिलेंडर में लगभग 6.8 किलोग्राम गैस होती है। जिसकी कीमत आमतौर पर 8,000 होती है, लेकिन अब यह 30,000 रुपये से अधिक है।
अफसोस की बात है कि इन चिकात्सा उपकरणों को जरूरी लोगों तक उपलब्ध कराने में राज्य सरकारें और केंद्र दोनों ही नाकामयाब रहे हैं। दिल्ली के कई दुकान मालिक जो इन उपकरणों को बेचतें हैं वह कहते हैं कि दिल्ली में महामारी की दूसरी लहर के बीच यह स्टॉक से बाहर हो गए हैं। हालांकि, वे कालाबाजारी करने वाले व्हाट्सएप और कई मैसेजिंग एप के जरिए असहाय लोगों से संपर्क कर उन्हें अधिक कीमत पर इन उपकरणों को बेच रहे हैं।
कई रिटोलर्स का आरोप है कि होलसेलर्स बाजार में कृत्रिम कमी पैदा कर आवश्यक चिकित्सा उपकरणों को जमा कर रहे हैं। जिससे उनकी मांग बढ़ गई है और अब वे एजेंटों के माध्यम से थोड़े से पैसे बनाने के लिए भारी कीमत पर बेच रहे हैं।
आउटलुक ने एक ऐसे एजेंट से संपर्क किया, जिसने कहा कि वह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए 1.5 लाख रुपये चार्ज करेगा जिसका एमआरपी 65,000 रुपये है। दिल्ली के वसंत कुंज में बत्रा एसोसिएट्स से सौरव बत्रा के रुप में खुद की पहचान करते हुए उन्होंने कहा कि मैं आपको 65,000 रुपये का जीएसटी का बिल दूंगा।
दिल्ली सरकार ने बहुत देर से एक नियंत्रण कक्ष शुरू किया जिसमें लोगों को अपने ऑक्सीजन सिलेंडरों को भरने में मदद के लिए एक फोन नंबर का विज्ञापन किया, लेकिन यह कदम बेअसर नजर आ रहा है। जब संवाददाता ने सरकार की सेवाओं को क्रॉस चेक करने के लिए कॉल किया तो हेल्पलाइन नंबर पर एक कॉल अटेंडेंट ने कहा हम आपको एक पता दे सकते हैं जहां आप जाकर अपना सिलेंडर भरवा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यदि आप स्टॉक खत्म होने के बाद फिलिंग स्टेशन पहुंचते हैं तो हम आपकी मदद नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा, जिस फिलिंग स्टेशन का उन्होंने सुझाव दिया था, वह मरीज के पते से लगभग 30 किमी दूर था।
दिल्ली और भारत के अन्य शहरों में मची हाय-तौबा को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और ऑक्सीमीटर के कालाबाजारी को रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और बाल संरक्षण और रखरखाव की रोकथाम अधिनियम, 1980 के प्रावधानों लागू करना होगा।
एक्टस लीगल, संस्थापक और प्रबंध भागीदार, श्रीवास्तव ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को कालाबाजारी में शामिल लोगों को जब्त करना, छापा मारना, हिरासत में लेना और गिरफ्तार करना चाहिए। आम आदमी के पास ऐसी ब्लैक-मार्केटिंग गतिविधियों की रिपोर्ट करने के लिए संबंधित अधिकारियों के हेल्पलाइन नंबरों और नंबरों की 24X7 पहुंच होनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि जैसा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है, उसे ऑक्सीजन रिफिलर स्टेशनों को संभालना चाहिए क्योंकि जो लोग उन्हें चला रहे हैं वे अब अस्पतालों में गैस की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं और वे इसे कथित रूप से बाजार में बेचकर कालाबाजारी कर रहे हैं। इस मामले में प्रभावी शिकायत और प्रतिक्रिया तंत्र स्थापित करना होगा।