प्रधानमंत्री मोदी ने किया सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन, नेहरु ने रखी थी इसकी नींव
सरदार सरोवर बांध परियोजना के शिलान्यास के 56 साल बाद 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। रविवार को अपने 67वें जन्मदिन के मौके पर अपने गृह राज्य गुजरात पहुंचे पीएम मोदी ने यहां नर्मदा नदी पर बने दुनिया के दूसरे नंबर के सबसे ऊंचे बांध का उद्घाटन किया।
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— ANI (@ANI) 17 September 2017
सरदार सरोवर बांध की अवधारणा सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1946 में स्वतंत्रता से पूर्व रखी थी। हालांकि इसकी नींव 5 अप्रैल 1961 को देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने रखी। इस परियोजना पर काम की शुरुआत 1987 में हुई।
गौरतलब है कि पीएम मोदी काफी समय से सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने के भी पक्ष में थे, जिसके बाद इस बांध की ऊंचाई हाल ही में बढ़ाकर 138.68 मीटर की गई है।
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इसलिए है खास
-देश के सबसे लंबे बांध के तौर पर इसे जाना जाएगा। इसकी की लंबाई 1.2 कि.मी. है। इसमें 4.73 मिलियन क्युबिक मी. उपयोग के लायक जगह है।
-इस बांध की लागत लगभग 44 हजार करोड़ रूपए है और 16 हजार करोड़ रुपए बांड और ब्याज पर लग गए हैं।
-जानकारी के मुताबिक बांध की ऊंचाई बढ़ने से प्रयोग करने वाली जल क्षमता 4.73 एकड़ फुट (एमएएफ) हो जाएगी।
-इससे गुजरात , राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के लोगों को फायदा होगा।
-इस परियोजना से गुजरात के जल रहित क्षेत्रों में नर्मदा के पानी को नहर और पाइपलाइन नेटवर्क के जरिये पहुंचाने में सहायता मिलेगी और सिंचाई सुविधा में विस्तार होगा, जिससे 10 लाख किसान लाभान्वित होंगे।
-इस बांध में लगे 2 टावरों से 1200 MW और 250 MW बिजली का उत्पादन होगा जिसका 57 प्रतिशत हिस्सा महराष्ट्र को 27 प्रतिशत मध्य प्रदेश को औऱ 16 प्रतिशत हिस्सा गुजरात को मिलेगा।
-इस बांध के जरिए लगभग 1600 करोड़ रुपए वार्षिक कृषि से, बिजली उत्पादन और पानी की सप्लाई से 175 करोड़ रुपए आएंगे जो तकरीबन 2175 करोड़ रुपए सालाना होता है।
-सरकार का कहना है कि इससे लगभग 10 लाख ग्रामीण लोगों को रोजगार मिलेगा जो गांव के लोगों का शहरों की तरफ होने वाले पलायन को कम करने में मदद करेगा।
बांध का होता रहा भारी विरोध
इस परियोजना पर जहां जश्न मनाया जा रहा है वहीं इसका विरोध भी होता रहा है। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि मध्य प्रदेश के अलीराजपुर, बड़वानी, धार, खारगोन जिलों के 192 गांवों, धर्मपुरी, महाराष्ट्र के 33 और गुजरात के 19 गांव इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे। देश के शहरी इलाकों को रोशन करने, पानी भरने के चक्कर में हजारों लोगों के घर में हमेशा के लिये अंधेरा छा जाएगा। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि पीएम देश के लोगों के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं।