15वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मंगलवार को 15 वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान वे अपने संबोधन में 150 से देशों के 5000 से ज्यादा प्रवासी भारतीयों को नए भारत के निर्माण में उनकी भूमिका बता रहे हैं। वह उद्घाटन सत्र के बाद अपने मॉरीशस के समकक्ष प्रविंद जगन्नाथ से बातचीत करेंगे।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ सोमवार को युवा प्रवासी भारतीय दिवस का उद्घाटन किया और कहा कि प्रवासी भारतीयों ने भारत और भारतीयों के बारे में दुनिया की धारणा को नाटकीय रूप से बदला है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री जगन्नाथ सोमवार दोपहर यहां पहुंचे और विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह ने उनकी अगवानी की। बाद में विदेश मंत्री स्वराज ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री से मुलाकात की और द्विपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ करने समेत विभिन्न मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
पहली बार 9 जनवरी के बजाय 21 से 23 जनवरी को हो रहा है आयोजन
ऐसा पहली बार होगा, जब यह तीन दिवसीय कार्यक्रम नौ जनवरी के बजाय 21 से 23 जनवरी को आयोजित किया जा रहा है, ताकि इस कार्यक्रम में पहुंचे लोग इलाहाबाद के कुंभ मेले में जा पाएं और यहां गणतंत्र दिवस परेड भी देख सकें।
‘नये भारत के निर्माण में प्रवासी भारतीयों की भूमिका’
प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार इस साल के प्रवासी भारतीय दिवस का विषय ‘नये भारत के निर्माण में प्रवासी भारतीयों की भूमिका’ है।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे, जबकि नार्वे के सांसद हिमांशु गुलाटी विशिष्ट अतिथि होंगे। न्यूजीलैंड के सांसद कंवलजीत सिंह बख्शी ‘विशिष्ट अतिथि’ होंगे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 23 जनवरी को समापन कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
ऐसे शुरू हुआ था प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का सिलसिला
गौरतलब है कि प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का फैसला 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था और पहला कार्यक्रम उस साल नौ जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुआ था। इस कार्यक्रम के लिए नौ जनवरी का चयन इसलिए किया गया था क्योंकि 1915 में इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। बयान के अनुसार प्रवासी भारतीय दिवस अब हर दो साल पर मनाया जाता है। यह प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान करता है।