भूल या चुनाव में नुकसान का डर, पेट्रोल-डीजल जैसी हो गई आम आदमी की बचत
महज 18 घंटे में मोदी सरकार ने एक अहम फैसला बदल दिया। सरकार ने बुधवार को छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती कर दी थी, लेकिन सुबह-सुबह होते कटौती को सरकार ने वापस ले लिया। अहम बात यह है कि फैसला वापस लेने की वजह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भूल बताई है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि यह फैसला भूल से लिया गया था, पुरानी ब्याज दरें बनी रहेंगी।
कहीं चुनाव में नुकसान का डर तो नहीं
भले ही इसे सरकार भूल मान रही हो, लेकिन फैसले की टाइमिंग से कई सवाल उठ रहे हैं। मसलन आज पश्चिम बंगाल और असम में दूसरे चरण का मतदान हो रहा है। जहां पर 69 सीटों पर राजनीतिक दलों के भाग्य का फैसला होगा। ऐसे में लगता है कि सरकार को इस फैसले से राजनीतिक रूप से नुकसान का अंदेशा था। और विपक्ष को एक अहम राजनीतिक मुद्दा मिल सकता है।
पेट्रोल-डीजल जैसी हो गई आम आदमी की बचत
असल में जिस तरह से पेट्रोल-डीजल की कीमतें किसी भी सरकार के लिए चुनावी मुद्दा बन जाता है। लगता है कि करोड़ों आम आदमियों द्वारा पीपीएफ, एनएससी, पोस्ट ऑफिस की जमाओं में लगने वाली गाढ़ी कमाई भी चुनावी मुद्दा बन गई है।
इस तरह चलाई थी कैंची
कल सरकार पोस्ट ऑफिस के बचत खातों में जमा राशि पर वार्षिक ब्याज को 4 फीसदी से घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया था। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) पर अब तक 7.1 फीसदी वार्षिक ब्याज को घटाकर 6.4 फीसदी कर दिया था। एक साल के लिए जमा राशि पर तिमाही ब्याज दर को 5.5 फीसदी से घटाकर 4.4 फीसदी किया गया था। बुजुर्गों को बचत योजनाओं पर अब 7.4 फीसदी की जगह केवल 6.5 फीसदी तिमाही ब्याज देने की घोषणा की गई थी।
इसी तरह 2 साल के लिए जमा राशि पर अब 5.5 फीसदी की जगह 5 फीसदी, 3 साल के लिए जमा राशि पर 5.5 फीसदी की जगह 5.1 फीसदी, 5 साल के लिए जमा राशि पर 6.7 फीसदी की जगह 5.8 फीसदी ब्याज कर दिया गया था। नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट पर 6.8 फीसदी की बजाय केवल 5.9 फीसदी ब्याज, किसान विकास पत्र पर 6.9 फीसदी की जगह 6.4 फीसदी ब्याज और सुकन्या समृद्धि योजना पर भी ब्याज दर को 7.6 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया गया था।