प्राइवेट अस्पतालों को न्यूनतम दर पर मिली है जमीन, क्यों नहीं करना चाहिए मुफ्त में कोविड का इलाज: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वो देशभर के उन निजी अस्पतालों को चिन्हित करें, जहां कोविड-19 संक्रमितों का इलाज मुफ्त या न्यूनतम दर पर किया जा सकता है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसे निजी अस्पताल हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से मुफ्त या मामूली दरों पर जमीन दी गई है। इसलिए उन्हें कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का इलाज मुफ्त में करना चाहिए। चीफ जस्टिस बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वो इन अस्पतालों की पहचान करें और कोर्ट को बताएं। मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी। पीठ ने यह आदेश दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है जिसमें देश भर के निजी अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज की लागत को विनियमित करने के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग की गई थी।
'कोविड मरीजों का इलाज निजी अस्पताल मुफ्त में करें'
दायर याचिका में कहा गया कि सरकार को निजी अस्पतालों को कोविड संक्रमित मरीजों के मुफ्त इलाज के लिए अनिवार्य करना चाहिए जिन्हें सार्वजनिक भूमि को न्यूनतम दरों पर आवंटित किया गया है। इससे पहले एडवोकेट सचिन जैन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 30 अप्रैल को केंद्र को नोटिस जारी किया था। याचिका में कहा गया था कि निजी अस्पताल संकट की घड़ी में कोरोनो पीड़ित मरीजों का "व्यावसायिक रूप से शोषण" कर रहे हैं।
'निजी अस्पताल में इलाज का खर्च केंद्र करें वहन, दिशा निर्देश की मांग'
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से केंद्र द्वारा गरीब और निशक्त लोगों के लिए निजी अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज के लिए आने वाले खर्च का वहन करने के लिए दिशा-निर्देश की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि जिनके पास न तो कोई बीमा कवर है और न ही ‘आयुष्मान भारत’ जैसी सरकारी योजनाओं के तहत कवरेज है। जिन्हें लाभ दिया गया है उनके उपचार की लागत सरकारी लाभ से अधिक है।