नेगोशिएबल इंस्टूमेंट अधिनियम में संशोधन करेगी सरकार
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चेक बाउंस होने से संबंधित मामलाें से जूझ रहे 18 लाख लोगों की सुविधा के लिए नेगोशिएबल इंस्टूमेंट अधिनियम (परक्राम्य विलेख अधिनियम) में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया है जिससे एेसे मामलों में उसी जगह कानूनी कार्रवाई शुरू की जा सकेगी जहां वह चेक भुगतान प्राप्त करने या क्लियरिंग के लिए जमा कराया गया है।
पिछले साल मई में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद यह 14वां अध्यादेश होगा। प्रस्तावित अध्यादेश से चेक बाउंस मामलों में उसी जगह मुकदमा दायर करने की छूट मिल जाएगी जहां चेक समाशोधन या भुगतान के लिए जमा कराया गया है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश पारित किया है कि यदि आपको किसी से चेक मिलता है और यह बाउंस हो जाता है, तो इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई उसी राज्य में शुरू की जा सकती है जहां से उसे जारी किया गया है।
गडकरी ने कहा, विभिन्न अदालतों में एेसे 18 लाख मामले चल रहे हैं इसलिए सरकार इस बारे में संसद में विधेयक लेकर आई थी। राज्यसभा में इसे पारित नहीं किया जा सका। एेसे में लोगों को राहत देने के लिए सरकार यह अध्यादेश ला रही है। उन्हाेंने कहा कि इस अध्यादेश से 18 लाख लोगाें को राहत मिलेगी।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अंतर्राष्ट्रीय मेरीटाईम संगठन (आईएमओ) के बंकर आयल पाॅल्यूशन डैमेज-2001 (बंकर संधि) के लिए अंतरराष्ट्रीय नागरिक उत्तरदेयता संधि में भारत के शामिल होने और बंकर संधि, नैरोबी संधि व सेलवेज संधि को लागू करने के लिए मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 में संशोधन से जुड़े नौवहन मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
बंकर संधि के तौर पर जाने जाने वाले इस सम्मेलन के तहत पेट्रोलियम ढुलाई करने वाले जहाजों से तेल के रिसाव से होने वाले नुकसान के लिए पर्याप्त, तुरंत और प्रभावी मुआवजे का प्रावधान है। नुकसान के लिए मुआवजा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों में सामुद्रिक क्षेत्र और विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र शामिल हैं। यह भारतीय जहाजों पर भी लागू होता है चाहे वे जहां भी हों। साथ ही यह प्रावधान भारतीय क्षेत्रााधिकार में विदेशी जहाजों पर भी लागू होगा।
मंत्रिमंडल ने नाविकों के पहचान दस्तावेज (एसआईडी) सम्बन्धी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आईएलओ के संधिपत्र संख्या 185 के अनुमोदन को भी मंजूरी दी। एक बायोमैट्रिक प्रणाली पर आधारित नाविक परिचय दस्तावेज तैयार किया जाएगा जो विदेशों में सामुद्रिक क्षेत्र में रोजगार की चाह में जाने वाले लोगों की पहचान के लिए एक पूर्ण रूप से सुरक्षित प्रणाली होगी और इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी। इस संधिपत्र को भारत का अनुमोदन मिलने से विदेश जाने वाले भारतीय नागरिकों को फायदा होगा और अगर भारत इस संधिपत्र को मंजूरी नहीं देता तो वैश्विक सामुद्रिक क्षेत्र में भारतीय नागरिकों को रोजगार के अवसरों में संभावित खतरों का सामना करना पड़ सकता था।