भारतीय सौर ऊर्जा मिशन के खिलाफ डब्लूटीओ के फैसले का विरोध शुरू
विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) ने भारत के राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के खिलाफ फैसला देकर लाखों-लाख लोगों के कारोबार को प्रभावित करने का फैसला किया है। जिनेवा में हुई इस बैठक में अमेरिका के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि भारत के इस सोलर मिशन में देश में तैयार किए हुए सोलर सेल का इस्तेमाल किया जाता है, जो सही नहीं है। डब्लूटीओ ने इसे अनुचित व्यापार माना है। इस फैसले के खिलाफ भारत सरकार ने अपील करने का फैसला किया। डब्लूटीओ के इस फैसले के खिलाफ देश में पर्यावरण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और वैकल्पिक ऊर्जा के मुद्दों पर काम कर रहे संगठनों ने भी विरोध करना शुरू कर दिया है।
डब्लूटीओ में भारत के इस मिशन के खिलाफ मामला लेकर अमेरिका गया था। चूंकि भारत का सोलर मिशन देश में घरेलू रूप से तैयार सोलर सेल का इस्तेमाल करता है, जिससे बड़े पैमाने पर स्थानीय रोजगार पैदा होता है। इसका कड़ा विरोध फ्रेंडस ऑफ अर्थ नेटवर्क के अंतर्राष्ट्रीय प्रोग्राम संयोजक सैम कोसर ने कहा, जब्लूटीओ का भारत क राष्ट्रीय सोलर मिशन के खिलाफ दिए गए फैसले से यह साबित होता कि देश की सरकार द्वारा स्थानीय नौकरियों और साफ ऊर्जा मुहैया कराने के अच्छे कदमों को कैसे कुचलने की कोशिश की जाती है। अभी हमने पेरिस में पृछ्वी को बचाने के लिए सुरक्षित ऊर्जा पर जोर देने की दिशा में जितने भी कदम उठाए थे, डब्लूटीओ उसे खत्म कर देना चाहता है।
डब्लूटीओ के इस फैसले के खिलाफ भारत में ग्रीन पीस संस्था ने अपना रुख स्पष्टकिया।ग्रीनपीस इंडिया और ग्रीनपीस अमेरिका ने एक संयुक्त बयान जारी कर डब्लूटीओ के इस फैसले की आलोचना की है और भारत सरकार के डब्लूटीओ फैसले केखिलाफ अपील करने के निर्णय का समर्थन किया है। ग्रीनपीस की कार्यकर्ता पुजारिणी सेन ने कहा ,भारत के मिशन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से वैश्विक लड़ाई में महत्वपूर्णकदम उठाते हुए अर्थव्यवस्था और ग्रीन नौकरियों को बढ़ावा देना। यह अत्यंत दुखद है कि भारत सरकार को इन सिद्धांतों को सुरक्षित रखने के लिये अमेरीका केखिलाफ वकालत करनी पड़ रही है”।
अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस ने अमरीका से भी यह मांग की है कि वह अपनी पुरानी बातों पर कायम रहे। अमेरिकी सरकार लगातार भारत व अन्य प्रमुखप्रदूषण फैलानेवाले देशों पर दबाव डालती रही है कि वह कोयले पर निर्भरता कम कर, भविष्य को बेहतर बनाने के लिए कम कार्बन उत्सर्जन करने की दिशा में ठोसकदम उठाये। वहीं अमरीका ने इतनी जरूरी योजना के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में अपील की।